ओटावा:कनाडा में गुरुद्वारा के बाहर एक तस्वीर काफी तेजी से वायरल हो रही है जिसमें हरदीप सिंह निज्जर के समर्थकों ने कहा है कि वह खालिस्तान टाइगर फोर्स से ताल्लुक रखता था।
वहीं, इसपर कनाडाई पत्रकार डेनियल बोर्डमैन ने सोशल मीडिया पर कहा है कि निज्जर के समर्थकों ने स्वीकार किया, वह खालिस्तान टाइगर फोर्स का सदस्य था। जबकि, उन्होंने कहा कि कनाडाई सरकार ने भारत के खिलाफ राजनयिक युद्ध छेड़ा हुआ है।
केटीएफ को विकिपीडिया पर खालिस्तानी आंदोलनकारी का उग्रवादी गुट बताया जाता रहा है और भारत में इन्हें एक आतंकवादी संगठन के रूप में देखा जाता है।
बता दें कि सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की गुरुद्वारे के बाहर हत्या कर दी गई थी। निज्जर इसी गुरुद्वारा का प्रमुख भी था। वहीं इस घटना पर कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक तौर पर भारत सरकार पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया हुआ है। इसके बाद ही दोनों देशों के बीच राजनयिक संकट पैदा हो गए थे। फिर तो रिश्तों में इतनी खटास आ गई कि भारत ने कनाडा में अपनी वीजा सेव बंद कर दी। साथ ही भारत में तैनात 41 राजनियकों को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया है।
जस्टिन ट्रूडो की तरफ से कहा गया है कि कनाडा इस मुद्दे पर कोई विवाद नहीं चाहता है और वह नई दिल्ली के साथ काम करना चाहता है। जबकि, कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा है कि भारत के साथ निजी तौर पर बातचीत जारी है।
पलटवार कर भारत सरकार ने कहा था कि इस तरह की लक्षित हत्या करने की नीति भारत की नहीं है और यदि कनाडा के पास कोई विशेष खुफिया जानकारी है तो उसे उपलब्ध करवाएं। हालांकि, भारत ने कनाडा को न केवल निज्जर के लिए सचेत किया बल्कि वहां रह रहे खालिस्तानियों नेताओं को कनाडा में पनाह देने के बारे में भी अलर्ट किया। भारत ने कनाडा को ये भी कहा कि निज्जर कोई धार्मिक गुरू नहीं था जबकि वो एक हत्यारा था।
हरदीप साल 1997 में फर्जी पासपोर्ट और फर्जी नाम पर कनाडा चला गया था, जहां उसने अपना नाम रवि शर्मा बताया। वहीं 2018 में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने जस्टिन ट्रूडो ने सबसे खतरनाक अपराधियों की सूची सौंपी थी। साल 2019 में निज्जर को कनाडा के सर्रेत गुरुद्वारे के प्रमुख के रूप में निर्विरोध चुना गया। भारतीय खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उन्होंने इस पद को पाने के लिए अपने चचेरे भाई और पूर्व प्रधान रघबीर सिंह निज्जर को धमकी देकर यह हासिल किया।