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भारत खुद को नेपाल के ‘सबसे अहम दोस्त और विकास साझेदार’ के रूप में देखता है: श्रृंगला

By भाषा | Updated: November 27, 2020 20:51 IST

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(शिरीष बी प्रधान)

काठमांडू, 27 नवंबर विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने शुक्रवार को कहा कि भारत और नेपाल की सोच और दृष्टिकोण एक ही हैं, इसलिए भारत नेपाल के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को लेकर खुद को उसके ‘ सबसे अहम दोस्त और विकास साझेदार’ के रूप में देखता है।

श्रृंगला द्विपक्षीय संबंधों को फिर से मजबूत बनाने के उद्देश्य से 26 से 27 नवम्बर तक नेपाल की यात्रा पर हैं।

उन्होंने यहां ‘एशियन इंस्टीयूट ऑफ डिप्लोमैसी एंड इंटरनेशनल अफेयर्स’ नामक संस्था द्वारा आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि नेपाल और भारत के बीच का रिश्ता ‘गूढ़’ है और उनके भूगोल, सभ्यतागत धरोहर, संस्कृति एवं रीति-रिवाज आपस में मिलते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत अपने आप को नेपाल के सबसे अहम दोस्त और विकास साझेदार के रूप में देखता है। ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ की हमारी आकांक्षाएं तथा ‘समृद्ध नेपाल एवं सुखी नेपाल’ के आपके लक्ष्य एक दूसरे के अनुकूल हैं। ’’

श्रृंगला ने कहा कि हाल के वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में नयी गति आयी है और ‘‘भारत के लिए नेपाल उसके ‘पड़ोस प्रथम’ दृष्टिकोण का मूल है।’’

उन्होंने कहा ‘‘भारत का विकास एवं आधुनिकीकरण अधूरा है तथा इसका संबंध सहज एवं सहानभूतिपूर्वक तौर पर नेपाल जैसे पड़ोसी देशों के विकास एवं आधुनिकीकरण से जुड़ा है।’’

श्रृंगला ने कहा कि साझी सभ्यतागत धरोहर के अलावा नेपाल के साथ भारत के संबंध चार स्तंभों -- विकास सहयेाग, मजबूत कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे में विस्तार एवं आर्थिक परियोजनाओं तथा नेपाल के युवाओं के लिए भारत के शैक्षणिक अवसरों की पहुंच में वृद्धि पर टिके हैं। उन्होंने कहा , ‘‘ हम नेपाल की प्राथमिकताओं के लिए काम करेंगे।’’

श्रृंगला ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से मुलाकात की। विदेश सचिव ने प्रधानमंत्री ओली के साथ द्विपक्षीय संबंधों समेत भारत और नेपाल के बीच करीबी संबंधों की संभावनाओं पर चर्चा की। बैठक के दौरान ओली ने नेपाल के साथ द्विपक्षीय संबंधों में गति लाने और द्विपक्षीय जुड़ाव के स्तर को बढ़ाने की इच्छा जताई।

श्रृंगला ने अपने नेपाली समकक्ष भरत राज पौडयाल से सीमा समस्या समेत विभिन्न मुद्दों पर सार्थक वार्ता की।

उन्होंने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से और विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली से भी शिष्टाचार भेंट की।

उन्होंने कहा, ‘‘ यहां काठमांडू में नेपाल की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और विदेश सचिव तथा अन्य गणमान्य लोगों एवं अधिकारियों के साथ हुई भेंट के बाद मुझे कोई संदेह नहीं है कि हमारे देशों की सोच एवं दृष्टिकोण एक ही हैं।’’

श्रृंगला ने कहा कि 2020 कोविड-19 के रूप में अतिरिक्त चुनौती लेकर आया है और द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत यह वर्ष दुनियाभर में सबसे अधिक बाधाक रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ इस अवधि में नेपाल और भारत एकजुट रहे और हमने नुकसान अवश्य झेले हैं, लेकिन हमने मिलकर मुकाबला किया है। ’’

भारतीय विदेश सचिव ने कहा, ‘‘ मैं नेपाल के लोगों को आश्वासन देना चाहूंगा कि एक बार कोविड-19 का टीका आ जाये, फिर नेपाल की जरूरत पूरी करना हमारे लिए प्राथमिकता होगी। ’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगस्त 2014 की नेपाल यात्रा को स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि 17 सालों में पहली बार इस स्तर पर यात्रा हुई और उससे द्विपक्षीय संबधों में नयी ऊर्जा का संचार हुआ।

भारत के सहयोग से नेपाल में मूर्त रूप दी जा रही विकास परियोजनाओं का जिक्र करते हुए श्रृंगला ने कहा कि ये परियोजना स्थानीय समुदाय की जरूरतों के मुताबिक बनायी गयीं, उनसे सामुदायिक परिसंपत्तियां सृजित हुई और जमीनी स्तर पर सामाजिक आर्थिक विकास हुआ।

उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसी विकास परियोजनाएं नेपाल के सभी 77 जिलों में लागू की गयी हैं और 2014 से अब तक उनमें 100 पूरी भी हो गयी हैं। ’’ उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, पेयजल, कौशल विकास, युवा प्रशिक्षण एवं कृषि से जुड़ी हैं।

उन्होंने कहा कि सीमा पार कनेक्टिविटी में वृद्धि और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं अहम हैं और मोतिहारी-आम्लेखगंज पेट्रोलियम पाईपलाइन, 900 मेगावट की अरूण तृतीय पनबिजली परियोजना, जयनगर-कुर्था सीमापार रेल लाइन, बीरगंज और बिराटनगर में आधुनिक चेक पोस्ट ऐसी परियोजनाओं के उदाहरण हैं।

उन्होंने 2015 में नेपाल में आये विनाशकारी भूकंप के बाद भारत द्वारा त्वरित रूप से उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ भारत अपने आप को नेपाल का स्वाभाविक और स्वत: प्रवृत सहयोगकर्ता के रूप में देखता है। ’’

गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते में तब तनाव आ गया था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई में उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का उद्घाटन किया था और कुछ ही दिनों बाद नेपाल ने एक नया मानचित्र जारी कर लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाया। भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी और उसे ‘एक तरफा कृत्य’ करार दिया। उसने नेपाल को चेताया था कि क्षेत्रीय दावों का कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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