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नारायण राणे ने शरद पवार को क्यों बोला- 'बागियों को नुकसान हुआ तो घर जाना मुश्किल हो जाएगा'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 24, 2022 04:09 PM2022-06-24T16:09:11+5:302022-06-24T16:11:14+5:30

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के पुराने राजनीतिक दुश्मन और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे भी मौके की नजाकत को समझते हुए पुराना हिसाब-किताब पूरा करने में दिल-ओ-जान से लग गये हैं।

एक दौर में बाला साहेब ठाकरे के हनुमान कहे जाने वाले नारायण राणे इस वक्त उद्धव सरकार की ईंट को खिसकाने में खून-पसीना एक किये हुए हैं। यही कारण है कि इस तमाशे में खुद को खामोश दिखा रही भाजपा के उलट नारायण राणे खुलकर बागी एकनाथ शिंदे के गुट के पक्ष में बोल रहे हैं।

 

लेकिन मजेदार बात यह है कि इस पूरे मसले में नारायण राणे ने जुबानी हमले में एनसीपी प्रमुख शरद पवार को निशाने पर ले लिया है, जबकि ये मसला शिवसेना से ताल्लुक रखता है।

राणे ने एनसीपी सुप्रीमो पर आरोप लगाया है कि शरद पवार मुंबई में बैठकर गुवाहाटी में बैठे शिवसेना के बागी विधायकों को धमका रहे हैं। दरअसल नारायण राणे यह आरोप इसलिए लगा रहे हैं क्योंकि शरद पवार ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि सड़क की बगावत कोई मायने नहीं रखती क्योंकि सरकार के बनने और गिरने का फैसला विधानसभा में होता है और बागी विधायकों को वापस विधानसभा में तो आना ही होगा।

पवार की इसी टिप्पणी को बागी विधायकों के लिए धमकी मानते हुए नारायण राणे ने खुले तौर पर कहा है कि अगर जिसने भी बागी विधायकों को विधानसभा में ‘‘नुकसान’’ पहुंचाने की कोशिश की तो इसके परिणाम उन्हें भुगतने होंगे।

जबकि देखा जाए तो शरद पवार ने कानूनी पहलू से एकदम सही बात कही है कि महा विकास आघाड़ी सरकार के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा और उन्हें उम्मीद है कि सदन में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत हासिल कर लेगा।

इसके साथ ही शरद पवार ने यह भी कहा था कि गुवाहाटी में डेरा डालने से कुछ नहीं होगा, जितने भी बागी विधायक हैं, उन्हें मुंबई वापस आना ही होगा।इसके बाद नारायण राणे ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘‘शरद पवार विधायकों (बागी) को धमका रहे हैं कि उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा आना चाहिए। वे जरूर आएंगे और अपने मन से मतदान करेंगे। अगर उन्हें किसी ने कोई भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की तो उसका घर जाना मुश्किल हो जाएगा।’’

नारायण राणे भी बाल ठाकरे की नर्सरी में पैदा हुए पॉलिटिशन हैं। जिन्होंने जुलाई 2005 में बाला साहेब ठाकरे द्वारा अपने बेटे उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पर बगावत कर दी थी। राणे ने उस समय उद्धव की राजनीतिक शैली, प्रशासनिक योग्यता और नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते हुए पार्टी को लात मार दिया था और 10 शिवसेना विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। 

आज के दौर में नारायण राणे भाजपा में हैं और मोदी सरकार में मंत्री हैं लेकिन लगता है कि बरसों पुरानी टीस नारायण राणे भूले नहीं हैं और उद्धव ठाकरे के उस समय किये गये अपमान का बदला लेने के लिए पूरे दमखम के साथ खड़े हो गये हैं। 

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