एक तकनीकी दस्तावेज के रूप में संविधान से परिचय और समझदारी सरल नहीं है. इससे आम आदमी इससे दूरी बनाए रखता है. दूसरी ओर राजनीति के चतुर सुजान जाने-अनजाने इसके प्रावधानों की मनचाही व्याख्या भी करते रहते हैं. ...
गृहमंत्री अमित शाह और कुछ अन्य भाजपा नेता ‘शाहीन बाग’ को पाकिस्तान कह रहे हैं. ऐसी बातें क्या इसलिए की जा रही हैं कि हिंदू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए? क्या अब भाजपा का आखिरी सहारा पाकिस्तान और मुसलमान ही बचे हैं? क्या वे ही अब एकमात्र ब्रह्मास ...
वर्ष 1950 में हमने अपने लिए जो संविधान स्वीकार किया था वह गण की महत्ता और स्वायत्तता को स्थापित करने वाला एक पवित्र दस्तावेज है. हमारे प्रधानमंत्री इसे सबसे बड़ा धार्मिक ग्रंथ कहते हैं. आज सवाल इस ‘धर्म-ग्रंथ’ की मर्यादा की रक्षा का है. ...
इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान कुछ बेहद अहम सवाल विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका और हैसियत को लेकर भी उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अध्यक्ष एक राजनीतिक दल का सदस्य होता है. लेकिन उसी के पास सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित करने का अधिकार है. उसका निर्ण ...
भारत में हमारी सरकारें कमाल के आंकड़े उछालती रहती हैं. वे अपनी पीठ खुद ही ठोंकती रहती हैं. वे दावे करती हैं कि इस साल में उन्होंने इतने करोड़ लोगों को गरीबी रेखा के ऊपर उठा दिया है. इतने करोड़ लोगों में साक्षरता फैला दी है लेकिन दावों की असलियत तब उज ...
पहचान का मामला वास्तव में बहुत उलझाऊ है. आजकल आप जिसे जिस रूप में पहचानना शुरू करते हैं, थोड़े दिन में वो कुछ और ही पहचान लिए घूमता है. ठंड में जिसे फॉग समझो वो स्मॉग निकलता है. क्रिकेटर को पहचानना शुरू करो तो पता चलता है कि 100 आइटम बेचने वाला विज्ञ ...