2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचन्द गांधी को दुनिया महात्मा गांधी के नाम से जानती है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अहम भूमिका निभाई थी। वे सत्य और अहिंसावादी थे। उन्होंने 200 सालों की अंग्रेजी हुकुमत को अहिंसावादी अंदोलनों से उखाड़ फेंका। इसमें स्वदेशी अंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह जैसे प्रमुख आंदोलन हैं। आजादी के वक्त वह भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के खिलाफ थे। आजादी के बाद 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। Read More
नितिन गडकरी ने खादी ग्रामोद्योग को उत्पादों को और आकर्षक बनाने के लिए सुझाव देते हुए कहा, ‘‘ युवा पीढ़ी की चॉइस (चयन) बदल रही है। दो पीढ़ियों के बीच जो चयन का फर्क होता है पुरानी पीढ़ी को उसे समझने की जरूरत है ताकि उत्पादों को युवा पीढ़ी के हिसाब से ...
महात्मा गांधी की जीवनी लिखने वाले गुहा ने कहा, ‘‘मई 2014 के बाद से आपको (साराभाई तथा अन्य न्यासियों) प्रधानमंत्री से हाथ भर की दूरी बना कर रखनी चाहिए थी। क्या प्रधानमंत्री बनने से पहले वह गांधी को पसंद करते थे? उन्होंने अपना प्रचार करने के लिए गांधी ...
रिचर्ड एटनबरो की वर्ष 1982 में महात्मा गांधी की जीवन पर बनी आस्कर विजेता फिल्म ‘गांधी’ में किंग्सले ने गांधी जी का किरदार निभाया था। गुरुवार 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि है। इस मौके पर शहर के मॉडल साइंस कॉलेज में महात्मा गांधी की अर्द्ध प्र ...
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आज पुण्यतिथि है। दिल्ली के बिड़ला भवन में 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने उनकी हत्या कर दी थी। उस वक्त बापू शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे। गोडसे ने भले ही तीन गोलियां दागकर बापू के शरीर को निष्प्राण कर दिया हो लेकिन ...
हत्या के बाद गोडसे को गिरफ्तार कर मुकदमा चलाया गया जिसमें 8 नवंबर 1949 को उनका परीक्षण पंजाब उच्च न्यायालय, शिमला में किया गया था और फिर 15 नवंबर 1949 को नाथूराम गोडसे को अंबाला जेल में फांसी दे दी गई थी। ...
दरअसल 30 जनवरी 1948 की शाम को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की जान ले ली। विडम्बना देखिए कि अहिंसा को अपना सबसे बड़ा हथियार बनाकर अंग्रेजों को देश से बाहर का रास्ता दिखाने वाले महात्मा गांधी खुद हिंसा का शिकार हुए। वह उस दिन भी रोज की तरह शाम की प्र ...
हिंदी साहित्यकारों में रामधारीसिंह ‘दिनकर’, सुमित्रानंदन पंत, माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, सोहनलाल द्विवेदी, भवानीप्रसाद मिश्र आदि कवियों ने गांधी विचारधारा को साहित्य में अपनी कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है. ...