Pitru Paksha 2023: पितृ पक्ष की शुरुआत इस साल 29 सितंबर (शुक्रवार) से है। पितृ पक्ष का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों और पितरों की पूजा और तर्पण करते हैं। पितृ पक्ष को आम बोलचाल की भाषा में श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2023 में श्राद्ध पक्ष 29 सितंबर, 2023 से शुरू होने जा रहा है।
श्राद्ध पक्ष प्रारंभ तिथि और समय पूर्णिमा तिथि आरंभः
- 28 सितंबर, 2023 -06:49 अपराह्न
पूर्णिमा तिथि समाप्त - 29 सितंबर, 2023 - 03:26 अपराह्न
श्राद्ध पक्ष समाप्ति तिथि और समय अमावस्या तिथि प्रारंभः
14 अक्टूबर, 2023 - 04:48 अपराह्न
अमावस्या तिथि समाप्त - 15 अक्टूबर, 2023 - 07:09 पूर्वाह्न।
पितृ पक्ष का हिंदुओं में बहुत महत्व है। श्राद्ध पक्ष 16 दिनों तक मनाया जाता है और लोग इन 16 दिनों तक अपने पूर्वजों और पितरों की पूजा करते हैं। इन दिनों के दौरान पितृ पूजा, पितृ तर्पण और पिंड दान करना अत्यधिक पुण्यदायी माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जो लोग इन गतिविधियों को करते हैं उन्हें पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है।
इन धार्मिक गतिविधियों को करने से उनके पूर्वजों को जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है और वे मोक्ष प्राप्त करें। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पितृ पक्ष के दिन सबसे पवित्र दिन होते हैं और इन 16 दिनों की अवधि के दौरान, कुछ ऐसी गतिविधियाँ होती हैं जिन्हें हमें विराम देने की आवश्यकता होती है क्योंकि उन्हें करना निषिद्ध और अशुभ होता है।
हिंदू मान्यताओं में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं। इसलिए उनका तर्पण और श्राद्ध किया जाना चाहिए। मान्यताओं के अनुसार अगर ऐसा नहीं किया जाता है को पितृ दोष लगता है।
पितृपक्ष का पहला और आखिरी दिन बेहद महत्वपर्णः पितृ पक्ष 16 दिनों तक चलता है और इस दौरान पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने की परंपरा है। इसमें ऐसे तो हर दिन का महत्व है लेकिन पहले और आखिरी दिन का महत्व विशेष है।
पितृपक्ष-2023 की तिथियांः (Pitru Paksha 2023 Shradh Dates)-
पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर-2023प्रतिपदा श्राद्ध – 30 सितंबरद्वितीया श्राद्ध – 1 अक्टूबरतृतीया श्राद्ध – 2 अक्टूबरचतुर्थी श्राद्ध – 3 अक्टूबरपंचमी श्राद्ध – 4 अक्टूबरषष्ठी श्राद्ध – 5 अक्टूबरसप्तमी श्राद्ध –6 अक्टूबरअष्टमी श्राद्ध- 7 अक्टूबरनवमी श्राद्ध – 9 अक्टूबरदशमी श्राद्ध – 10 अक्टूबरएकादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबरद्वादशी श्राद्ध- 12 अक्टूबरत्रयोदशी श्राद्ध – 13 अक्टूबरचतुर्दशी श्राद्ध- 14 अक्टूबरअमावस्या का श्राद्ध- 15 अक्टूबर।
पितृपक्ष 20232: कब किनका करें श्राद्ध
ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध करना चाहिए। इसके मायने ये हुए कि जिस व्यक्ति की जिस तिथि पर मृत्यु हुई, उसी तिथि पर उसका श्राद्ध किया जाना चाहिए। अगर किसी मृत व्यक्ति के मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी नहीं है तो फिर उसका श्राद्ध अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इस दिन को सर्वपितृ श्राद्ध योग कहा जाता है।
ऐसे ही अगर तिथि का ज्ञान नहीं हो तो त्रयोदशी के दिन पूर्ण विधान से मृत बच्चों का श्राद्ध करना चाहिए। जिन बच्चों की मृत्यु दो वर्ष या उससे कम में होती है, उसका श्राद्ध नहीं किया जाता है। इसके अलावा जिन बच्चों की उम्र 2 से 6 साल के बीच रही हो उनका श्राद्ध नहीं बल्कि मलिन षोडशी प्रक्रिया की जाती है। 6 साल से ज्यादा की उम्र के मृत बच्चों के लिए श्राद्ध किया जाना चाहिए।
पितृपक्ष समाप्त होने से पहले अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों का श्राद्ध करने की परंपरा है। अगर किसी की मृत्यु दुर्घटना, हत्या, किसी जानवर या सांप आदि के काटने से हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को करना चाहिए। आत्महत्या करने वालों का भी श्राद्ध इस दिन करना चाहिए।
(ये आर्टिकल मान्यताओं पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते।)