मजदूर दिवस: नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बाद, रोटियाँ भी न मयस्सर हों जिसे काम के बाद, पढ़ें कामगारों के दर्द बयां करते शेर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 1, 2020 09:03 IST2020-04-29T18:02:24+5:302020-05-01T09:03:06+5:30

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1 मई को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस मनाया जाता है. यह दिन मजदूरों के हक और सम्मान के खातिर मनाया जाता है.

मजदूर दिवस की शुरुआत अमेरिका में 1886 में हुई थी, जब काम के घंटे निर्धारित करने के लिए लाखों मजदूर सड़क पर उतर गए.

फ्रांस की राजधानी पेरिस में 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई थी। लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता और कामरेड सिंगारावेलु चेट्यार के नेतृत्व में मद्रास में पहली बार मजूदर दिवस मनाया गया

दुनिया भर में 200 करोड़ लोग असंगिठत क्षेत्र में काम करते हैं, भारत में यह संख्या करीब 42 करोड़ है.

दुनिया भर में कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से सबसे बुरी तरह प्रभावित अप्रवासी मजदूर और अंसगठित क्षेत्र के कामगार हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने चेतावनी दी है कि कोरोना संकट के चलते भारत के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग 40 करोड़ लोग गरीबी में फंस सकते हैं।