राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर राष्ट्रपति भवन में देश के कई खिलाड़ियों को विभिन्न खेल पुरस्कारों सम्मानित किया। देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न से महिला पैरा-एथलीट दीपा मलिक को सम्मानित किया गया, जो खेल रत्न हासिल करने वाली पहली महिला पैरा-एथलीट बन गई हैं।
दीपा ने रियो पैरालम्पिक-2016 में शॉट पुट (गोला फेंक) में सिल्वर मेडल अपने नाम किया था। गोला फेंक के अलावा दीपा मलिक भाला फेंक और तैराकी जैसे खेल में भी हिस्सा ले चुकी हैं। भाला फेंक में उनके नाम पर एशियाई रिकॉर्ड है, जबकि गोला फेंक और चक्का फेंक में उन्होंने 2011 में विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीते थे। इसके अलावा दीपा तैराकी में भी मेडल जीत चुकी हैं।
31 ऑपरेशन के बाद आसान नहीं था सफर
दीपा मलिक के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं था, क्योंकि 17 साल पहले रीढ़ में ट्यूमर के कारण उनका चलना असंभव हो गया था और इसके लिए 31 ऑपरेशन किए गए। 31 ऑपरेशन के दौरान दीपा की कमर और पांव के बीच 183 टांके लगे थे। इसके अलावा दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और कई खेलों में हाथ आजमाए।
दीपा ने साल 2009 में जीता पहला मेडल
ऑपरेशन के बाद दीपा मलिक ने खेल की ओर रुख किया और कड़ी मेहनत से साल 2009 में शॉट पुट में अपना पहला मेडल (ब्रॉन्ज) जीता। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और आगे बढ़ती गई। साल 2010 में दीपा ने इंग्लैंड में शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और जेवलिन तीनों में गोल्ड मेडल जीते। फिर उसी साल उन्होंने चाइना में पैरा एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया और यह मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
इसके बाद ऐसा रहा दीपा का सफर
दीपा ने साल 2011 में वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और सिल्वर जीता। इसके बाद उन्हेंने उसी साल वर्ल्ड गेम्स में दो ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए। दीपा ने 2012 में मलेशिया ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जेवलिन और डिस्कस थ्रो दोनों में गोल्ड मेडल जीता।
साल 2014 में बीजिंग में आयोजि चाइना ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में दीपा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इसके बाद उसी साल एशियन पैरा गेम्स में दीपा ने सिल्वर मेडल जीता। फिर दुबई में ओसिएनिया एशियन चैंपियनशिप में जेवलिन थ्रो में गोल्ड और शॉटपुट में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।