One Nation-One Election: केंद्र ने कोविंद पैनल की रिपोर्ट को सराहा, ओवैसी ने कहा- "यह भारतीय लोकतंत्र के मौत की घंटी है"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 15, 2024 07:49 AM2024-03-15T07:49:55+5:302024-03-15T07:55:33+5:30
र्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति ने बीते गुरुवार को जैसे ही अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। इसे लेकर सत्ता के गलियारे में सियासी तापमान तेजी से बढ़ गया।
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में 'वन नेशन-वन इलेक्शन' के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति ने बीते गुरुवार को जैसे ही अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी। इसे लेकर सत्ता के गलियारे में सियासी तापमान तेजी से बढ़ गया।
विपक्षी नेताओं ने समिति के रिपोर्ट पर आपत्ति व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि यह भारतीय संघवाद के लिए मौत की घंटी होगी, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने समिति के रिपोर्ट पेश करने के दिन को देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए "ऐतिहासिक" बताया।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार बीते गुरुवार को समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन की अवधारणा भारतीय संघवाद के लिए मौत की घंटी होगी और यह भारत को एक दलीय राज्य में बदल देगी।
एआईएमआईएम नेता ओवैसी ने कहा, "लगातार चुनाव सरकारों को मुश्किल में डालते हैं। वन नेशन-वन इलेक्शन के साथ कई संवैधानिक मुद्दे हैं, लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि सरकारों को पांच साल तक लोगों के गुस्से के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं होगी। यह भारतीय संघवाद के लिए मौत की घंटी होगी। यह भारत को एक दलीय राज्य में बदल देगा।"
ओवैसी की तरह कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का विचार पूरी तरह से पंचायतों और हर चीज के विकेंद्रीकरण की भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "एक राष्ट्र, एक चुनाव कैसे हो सकता है जब मौजूदा शासन लोगों के जनादेश को स्वीकार नहीं कर रहा है? साथ ही यह पूरी तरह से पंचायतों और हर चीज के विकेंद्रीकरण की भावना के खिलाफ है।"
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि सरकार की संसदीय प्रणाली में एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है।
एक राष्ट्र एक चुनाव की उच्च स्तरीय समिति के सचिव नितेन चंद्रा को लिखे पत्र में कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस विचार का कड़ा विरोध करती है और इसे छोड़ दिया जाना चाहिए और इसके अध्ययन के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए।
कांग्रेस प्रमुख खड़गे ने अपने पत्र में कहा, "कांग्रेस पार्टी और देश के लोगों की ओर से मैं उच्च-स्तरीय समिति के अध्यक्ष से विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि केंद्र सरकार संविधान को नष्ट करने के लिए और इस देश में संसदीय लोकतंत्र को खत्म करने के लिए भारत के पूर्व राष्ट्रपति के पद का दुरुपयोग न करे। उस देश में एक साथ चुनाव की अवधारणा के लिए कोई जगह नहीं है, जिसने सरकार की संसदीय प्रणाली अपनाई है। सरकार द्वारा एक साथ चुनाव कराने के ऐसे तरीके संविधान में निहित संघवाद की गारंटी के खिलाफ हैं।"
विपक्ष के इन दावों के उलट गृह मंत्री अमित शाह ने समिति के रिपोर्ट सौंपे जाने की सराहना करते हुए कहा, ''यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।"
मालूम हो कि शाह उस समिति के अन्य सदस्यों में शामिल हैं, जिसमें राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आज़ाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी, पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त के साथ कानून एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य थे और समिति के सचिव नितेन चंद्रा थे।
एक राष्ट्र-एक चुनाव पर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति ने बीते गुरुवार को राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की और अपनी रिपोर्ट सौंपी। 18,626 पृष्ठों वाली यह रिपोर्ट 2 सितंबर 2023 को उच्च-स्तरीय समिति के गठन के बाद से विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद तैयार की गई है।