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मारिने की देखरेख में भारतीय महिला हॉकी टीम मानसिक रूप से मजबूत हुयी है: पूर्व कोच हौगुड

By भाषा | Updated: July 12, 2021 17:00 IST

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नयी दिल्ली, 12 जुलाई पूर्व मुख्य कोच नील हौगुड का मानना है कि मौजूदा भारतीय महिला हॉकी टीम शोर्ड मारिने की देखरेख में मानसिक रूप से मजबूत इकाई बनी है जो उसके आगामी तोक्यो ओलंपिक अभियान के लिए शुभ संकेत है।

हौगुड 2012 से 2016 के बीच दो बार भारतीय महिला टीम के राष्ट्रीय कोच रहे है। उन्होंने माना की मौजूदा कोच मारिने के आने के बाद से कप्तान रानी रामपाल और उनकी टीम के खेल में काफी सुधार हुआ है।

ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व ओलंपियन ने हॉकी इंडिया द्वारा तोक्यो खेलों से पहले शुरू की गयी पॉडकास्ट श्रृंखला, ‘हॉकी ते चर्चा’ के नवीनतम एपिसोड कहा, ‘‘ शोर्ड (मारिने) ने टीम के स्तर को ऊपर उठाने के मामले में अद्भुत काम किया है। मौजूदा टीम पिछले वर्षों की तुलना में मानसिक रूप से काफी मजबूत है।’’

हौगुड की देखरेख में भारत ने 36 साल के बाद रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। उन्होंने कहा, ‘‘ इससे पहले अगर टीम के खिलाफ जल्दी गोल हो जाता था तो स्थिति चिंताजनक हो जाती थी, जिससे बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है। टीम इस तरह की स्थिति में  अब शांत और आत्मविश्वास से भरी दिखती है। खिलाड़ी जानते है कि वे किसी भी समय  मैच में वापसी कर सकते हैं। मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि मेरे समय के मुकाबले टीम ने काफी सुधार किया और एक अलग (ऊंचे) स्तर पर पहुंच गयी।’’

टीम के साथ अपने समय को याद करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘जब मुझे पहली बार जिम्मेदारी दी गयी थी, तो मुझे लगा कि टीम तैयार करने के लिए सही संरचना मौजूद है। शुरू से ही हमारा इरादा भविष्य के लिए एक टीम बनाने का था। हमने कभी यह महसूस नहीं किया कि किसी बड़े बदलाव की जरूरत है। मैंने और मेरी टीम ने हालांकि मामूली बदलाव लागू किए थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सबसे बड़ा बदलाव अभ्यास के तरीके में किया था। उस समय कई खिलाड़ी चोटिल होने के बाद भी टीम में जगह खोने के डर से अभ्यास करना जारी रखते थे। हमने लेकिन हमने रिहैबिलिटेशन और पूरी तरह से फिटनेस हासिल करने पर जोर दिया ताकि खिलाड़ी उच्चतम स्तर पर अभ्यास कर सकें और चोट के कारण टीम से बाहर होने की चिंता न करें।’’

हौगुड का मानना है कि कोविड-19 महामारी के कारण ओलंपिक से पहले भारत, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसी टीमों के लिए मैच अभ्यास की कमी परेशानी की बात हो सकती है। दूसरी तरफ यूरोपीय टीमों ने एक-दूसरे के खिलाफ इस दौरान लगातार अभ्यास मैच खेले।

उन्होंने कहा, ‘‘ऑस्ट्रेलिया, भारत और अर्जेंटीना जैसे टीमों के लिए यह कठिन होने वाला है क्योंकि उन्होंने हाल में ज्यादा हॉकी नहीं खेली है। यूरोप की टीमें  इस दौरान एक-दूसरे के खिलाफ नियमित टेस्ट मैच खेल रही है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ प्रतियोगिता के शुरुआती दो मैचों में कुछ भी संभव है। कोई भी टीम किसी को हरा सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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