आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना और कांग्रेस एनसीपी के बीच मुख्य मुकाबला है। बीजेपी-शिवसेना की नजरें न सिर्फ दोबारा सत्ता में वापसी पर होंगी बल्कि वह 2014 विधानसभा चुनावों के अपने प्रदर्शन में सुधारा भी करना चाहेंगी, उन चुनावों में इन दोनों पार्टियों ने अकेले चुनाव लड़ा था।
वहीं कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की नजरें 2014 विधानसभा चुनावों की तुलना में 2019 लोकसभा चुनावों में हुए नुकसान की भरपाई करने पर होंगी।
पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना की नजरें कांग्रेस-एनसीपी का किला ढहाने पर
इन चुनावों में पश्चिमी महाराष्ट्र के नतीजों का खासा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि यहां 58 विधानसभा सीटें हैं। ये क्षेत्र 2014 के पहले तक कांग्रेस और एनसीपी का गढ़ रहा था। 2014 विधानसभा चुनावों से पहले तक पश्चिमी महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी के सीटों और वोट शेयर की संख्या बीजेपी-शिवसेना के वोट शेयर और सीटों की संख्या से ज्यादा थे।
यहां तक कि जब 2014 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनावों में जब बीजेपी-शिवसेना पूरे महाराष्ट्र आगे हो गए, तब भी इस इलाके में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के खिलाफ उनको मामूली बढ़त ही मिल पाई।
पश्चिमी महाराष्ट्र ही एकमात्र क्षेत्र हैं, जहां 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी-शिवसेना दो तिहाई सीटों का आंकड़ा छूने में नाकाम रहे। इन दो चुनावों में बीजेपी-शिवसेना ने महाराष्ट्र की 80 फीसदी विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाया। ये महाराष्ट्र में 2014 के बाद से बीजेपी-शिवसेना के बढ़ते दबदबे का भी सबूत हैं।
पश्चिमी महाराष्ट्र में भी मजबूत हुई है बीजेपी-शिवसेना
हालांकि बीजेपी-शिवसेना राज्य के अन्य हिस्सों की तरह पश्चिमी महाराष्ट्र में विपक्ष को पूरी तरह से तो मात देने में सफल नहीं रही हैं, लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे यहां भी अपनी पकड़ मजबूत करनी शुरू कर दी है।
न सिर्फ इस क्षेत्र में बीजेपी-शिवसेना के वोटों की संख्या और वोट शेयर्स में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि उन्होंने साथ ही कांग्रेस-एनसीपी के जीत के आंकड़े में भी कमी लाने में सफलता पाई है।
बीजेपी और शिवसेना की औसत जीत का अंतर 2009 से 2014 विधानसभा चुनावों के दौरान बढ़ा। वहीं कांग्रेस और एनसीपी के लिए इस क्षेत्र में जीत का अंतर 2009 लोकसभा चुनावों के बाद से ही घट रहा है।
2014 के बाद से पूरे महाराष्ट्र में बढ़ा है बीजेपी-शिवसेना का दबदबा
बीजेपी और शिवसेना ने 2014 लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में 288 विधानसभा क्षेत्रों में से 232 में जीत हासिल की थी, जबकि 2014 विधानसभा चुनावों में उन्होंने 185 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि 2019 लोकसभा चुनावों में इस गठबंधन ने 226 सीटें जीती थीं।
वहीं कांग्रेस और एनसीपी ने 2014 लोकसभा चुनावों में 42 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की थी, जबकि इन दोनों को 2014 विधानसभा चुनावों में 83 और 2019 लोकसभा चुनावों में 45 सीटों पर जीत मिली थी।
पश्चिमी महाराष्ट्र की 58 सीटों के अलावा महाराष्ट्र विधानसभा की कुल 288 सीटों में कोंकण क्षेत्र की 75, मराठवाड़ा की 46, विदर्भ की 62 और खंडेश की 47 सीटें शामिल हैं।
इन चुनावों में ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस-शिवसेना अपने आखिरी गढ़ को बचा पाने में सफल रहती है या नहीं!