समृद्धि महामार्ग पर सुरक्षा और सुविधा का सवाल!

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 18, 2025 07:08 IST2025-06-18T07:07:18+5:302025-06-18T07:08:14+5:30

सरकार यदि इस तरह की व्यवस्था करे तो विपक्ष को चूं-चपड़ नहीं करनी चाहिए क्योंकि महामार्ग पर इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है.

question of safety and convenience on Samriddhi Highway | समृद्धि महामार्ग पर सुरक्षा और सुविधा का सवाल!

प्रतीकात्मक फोटो

नागपुर-मुंबई के बीच समृद्धि महामार्ग ने निश्चय ही विकास की एक नई इबारत लिखी है. तेज रफ्तार इस महामार्ग को सुरक्षा की दृष्टि से मुफीद माना जा रहा था, मगर कुछ असामाजिक तत्व इस महामार्ग पर सुरक्षित यात्रा को चुनौती दे रहे हैं. पिछले दिनों रात के समय मेहकर के पास एक परिवार के साथ लूटपाट, कारंजा के पास एक बस पर हमला और वैजापुर के पास भी लूटपाट की खबरें सामने आई थीं.

अब यह जानकारी भी सामने आ रही है कि इन्हीं इलाकों में सुरंगों के किनारे कुछ वाहनों पर पत्थर फेंके गए. पत्थर फेंकने का उद्देश्य यही होता है कि वाहन चालक आवाज सुनकर रुके और फिर लुटेरे उन्हें लूट लें. देश के कई हिस्सों में इस तरह से लूटपाट होती रही है. यह एक पुराना तरीका है. इसलिए जो वाहन चालक समझदार होते हैं, वे कभी भी ऐसी स्थिति में अपने वाहन नहीं रोकते हैं. कई बार वाहन के कांच पर अंडे फेंके जाते हैं ताकि उसे साफ करने के लिए वाहन चालक वाइपर चलाए और फिर उसे कुछ दिखाई ही न दे. ऐसी स्थिति में वह वाहन रोकने पर मजबूर हो जाएगा. लुटेरे यही तो चाहते हैं.

समृद्धि महामार्ग पर अंडे तो अभी तक फेंके जाने की कोई जानकारी नहीं है लेकिन पत्थर फेंकने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. कई वीडियो वायरल हो रहे हैं. खास बात यह है कि इस तरह की घटनाएं कुछ खास इलाकों में ही हो रही हैं. अब सवाल यह उठता है कि लुटेरे कौन हैं? क्या वे भी यात्री बन कर ही महामार्ग पर पहुंच रहे हैं या फिर लुटेरे स्थानीय हैं जो पैदल चढ़ कर महामार्ग पर पहुंच जा रहे हैं?

दोनों ही संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता. सुरक्षा के नाम पर अभी तक महामार्ग पर ऐसी कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है कि लुटेरों के भीतर भय पैदा हो या फिर वे परेशानी महसूस करें. अभी तो छिटपुट घटनाएं हुई हैं लेकिन इस पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कदम नहीं उठाए गए तो रात के समय लोग शायद यहां से गुजरना पसंद नहीं करेंगे. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि पुलिस जल्दी से जल्दी जांच करे कि लुटेरे आ कहां से रहे हैं. एक और बड़ी समस्या है कि यदि किसी वाहन पर पत्थर फेंके गए और वह सुरक्षित निकल गया तो वह यही मानता है कि चलो हम तो निकल गए, पुलिस के पास क्या जाना! लेकिन ऐसी मानसिकता लुटेरों की हिम्मत बढ़ाती है.

हम सभी जागरूक यात्रियों या वाहन चालकों का यह दायित्व है कि टोल फ्री नंबर पर सूचना जरूर दें. कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि जो भी अगला एग्जिट हो, वहां सूचना दें और फिर समृद्धि पर वापस आ जाएं. वाहन चालकों के केवल पांच-दस मिनट खर्च होंगे लेकिन जल्दी सूचना मिलेगी तो संभव है कि लुटेरे पकड़े भी जाएं. दरअसल हकीकत यही है कि हम में से ज्यादातर लोग खुद के अधिकार की बात तो करते हैं लेकिन दायित्व नहीं निभाते! सुरक्षित यात्रा के लिए हमें अपने दायित्व भी निभाने होंगे.

अब आप सुविधा की स्थिति देखिए. हर एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर टॉयलेट संकुल बना हुआ है लेकिन ज्यादातर टॉयलेट संकुल में इतनी गंदगी फैली रहती है कि लोग भीतर जाने से परहेज करते हैं. ज्यादातर में नल की टोंटी टूटी हुई है. सवाल है यह स्थिति क्यों पैदा हो गई. निश्चित रूप से नलों की टोंटी कोई चुरा ले गया होगा! अब ऐसे में सरकार क्या करे? क्या हर दिन टोंटी बदलती रहे?

इसका एक ही इलाज है कि हर टॉयलेट संकुल में एक कर्मचारी बिठा दिया जाए और अभी जो सुविधा नि:शुल्क है, उसे सशुल्क कर दिया जाए. इससे कम से कम लोगों को सुविधाजनक टॉयलेट तो उपलब्ध होगा! सरकार यदि इस तरह की व्यवस्था करे तो विपक्ष को चूं-चपड़ नहीं करनी चाहिए क्योंकि महामार्ग पर इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है. आप अंडमान निकोबार के जंगली इलाके में भी किसी पर्यटन स्थल पर जाएंगे तो इतनी साफ-सुथरी व्यवस्था मिलेगी कि आप दंग रह जाएंगे.

यदि आप शानदार सफाई का राज पूछें तो वहां का कर्मचारी आपसे कहेगा कि जो थोड़ी-बहुत गंदगी होती है, वो भी मेन लैंड से आने वाले लोग ही करते हैं. कहने का आशय यह है कि हमें यदि सुविधा चाहिए तो उसी के अनुरूप अपना व्यवहार रखना होगा. निश्चित रूप से सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन हमारा दायित्व भी तो है!

Web Title: question of safety and convenience on Samriddhi Highway

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