आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए मुंबई की 36 विधानसभा सीटों पर इस बार पिछले एक दशक के दौरान सबसे कम उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। आंकड़ों के मुताबिक यहां से लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में भी गिरावट आई है।
2009 के लोकसभा चुनावों में मुंबई की 36 सीटों पर 424 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे, जिनमें से 194 (करीब 45 फीसदी) निर्दलीय थे।
मुंबई में घटी उम्मीदवारों की संख्या
वहीं 2014 के चुनावों में यहां से 517 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे, जिनमें से 174 निर्दलीय (महज 33 फीसदी) उम्मीदवार थे।
इस बार कुल 333 उम्मीदवारों में से 91 निर्दलीय (27 फीसदी) उम्मीदवार लड़ रहे हैं।
दो बड़ा गठबंधन है मुंबई में उम्मीदवारो की कमी की वजह!
विशेषज्ञों का मानना है कि उम्मीदवारों की संख्या में कमी की मुख्य वजह दो बड़े गठबंधनों-बीजेपी-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का बनना है, जो 2014 से उलट है, जिसमें ये चारों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं।
वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे आर्थिक मंदी से भी जोड़कर देख रहे हैं, खासतौर पर छोटी पार्टियों के लिए। इनका कहना है कि छोटी पार्टियां या स्वतंत्र उम्मीदवारों के पास शायद चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं है।
वहीं इसकी एक और वजह है निर्दलीय उम्मीदवारों की कम संख्या, जिन्हें अक्सर वोट काटने के लिए उतारा जाता है, लेकिन इस बार सत्तारूढ़ पार्टियों के पास विपक्षी दलों के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार को खड़ा करने के लिए पैसे नहीं हैं।
288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और वोटों की गिनती 24 अक्टूबर को होगी। इन चुनावों में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच है।