मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना होने में चंद ही दिन शेष है, लेकिन इसके पहले एक बार फिर डाक मत पत्रों को लेकर सियासी पारा चढ़ता हुआ नजर आ रहा है। दरअसल कांग्रेस ने डाक मत पत्रों को लेकर बड़ी आशंका जाहिर की है। कांग्रेस का मानना है कि हार के डर से बीजेपी ने प्रशासन के साथ मिलकर शासकिय कर्मचारियों को पोस्टल बैलट के उपयोग से ना सिर्फ वंचित किया। बल्कि जिन्होंने वोट किया हैं, उनके वोट भी सुरक्षित नहीं रखे गए है । जिसको लेकर कांग्रेस को डर है कि कई सीटों पर डाक मत पत्र ही निर्णायक भूमिका में हो सकते है। यही कारण है कि इसको लेकर कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग का दरवाजा भी खटखटाया हैं और डाकमत पत्रों की सम्पूर्ण जानकारी मांगने के साथ ही, उन्हें सुरक्षित रखने की मांग की है।
एमपी कांग्रेस के चुनाव कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने बताया कि कई जगहों से डाकमत पत्रों की जानकारी प्रत्याशियों को ना मिलने की शिकायत आई है। भिंड से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ गोविंद सिंह ने भी जिला निर्वाचन पदाधिकारी से जानकारी मांगी तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये। साफ लग रहा है कि सरकार को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा हो रहा हैं।
वही बीजेपी ने कांग्रेस के सभी आरोपों को निराधार बताया, बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने कहा कि हार के डर से अभी से कांग्रेस ऐसे अनर्गल आरोप लगा रही है। कभी ईवीएम पर सवाल, तो कभी डाकमत पत्रों को लेकर सवाल, ये सवाल ही करें। हमें तो जनता का आशिर्वाद मिल रहा है और प्रदेश में हम सरकार बनाने जा रहे है ।
गौरतलब है कि भिंड से कांग्रेस प्रत्याशी और मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष डॉ़ गोविंद सिंह ने अपने विधानसभा क्षेत्र में डाक मत पत्र गायब होने के आरोप लगाएं थे और इसको लेकर शिकायत भी निर्वाचन आयोग से की थी। जिसके बाद से ही कांग्रेस एक्टिव हुई और डाक मत पत्रों की जानकारी आयोग से मांगी। जो आयोग ने मुहैया भी कराई है, लेकिन फिर भी कांग्रेस को डर है कि कही मुकाबाल करीब का होने पर डाकमत पत्रों में हेरा फेरी ना हो जाएं। यही कारण है कि कांग्रेस ने डाकमत पत्रों की गिनती के दौरान अपने एजेंट्स को सर्तक रहने को कहा है । जो भी हो, लेकिन 3 दिसंबर को देखना होगा कि जनता का साथ किसे मिलता है और कौन सत्ता के सिंहासन पर बैठता है।