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एमएसएमई को जो स्थान दशकों तक नहीं मिला, वह हम दिला रहे : निर्मला सीतारमण

By भाषा | Published: August 21, 2021 5:55 PM

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ यानी सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को दशकों तक जो स्थान नहीं मिला वह केंद्र की मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने दिलाया है। निर्मला ने यहां 'उभरते सितारे फंड' की शुरुआत करते हुए अपने संबोधन में कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एमएसएमई को वाजिब पहचान दी है। इस क्षेत्र को दशकों तक जो स्थान नहीं मिला वह अब उसे दिलाया जा रहा है और आगे भी इसे और बेहतर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों को देखें तो केंद्र सरकार ने काफी अलग चीजें की हैं। सरकार ने एमएसएमई की परिभाषा को बहुत लचीले तरीके से बदला है। हाल में संसद में एक विधेयक लाया गया है जिससे एमएसएमई क्षेत्र को सीधे तौर पर फायदा होगा। सीतारमण ने कहा कि सरकार ने पिछले दिनों एक अच्छा काम यह किया है कि अब एमएसएमई कारोबारियों को अपने खाते को जमा करने से पहले ऑडिट कराने की जरूरत नहीं होगी। सरकार को उन पर भरोसा है और वह अपने खाते को खुद दस्तखत कर प्रमाणित कर सकेंगे। केंद्रीय वित्त मंत्री ने छोटे सितारे फंड का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी घोषणा वर्ष 2020 के बजट में हुई थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे लांच करने में देरी हुई। उभरते सितारे काफी हद तक पाश्चात्य सिद्धांतों पर आधारित है। खासकर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के लिए यह वरदान साबित होगा जहां एमएसएमई इकाइयों की संख्या सबसे ज्यादा है। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद उत्तर प्रदेश के एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से आग्रह किया कि प्रदेश के हर जिले में स्थापित एमएसएमई चेंबर के माध्यम से ‘उभरते सितारे’ के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करें ताकि एक जिला एक उत्पाद योजना पर काम कर रहे एमएसएमई कारोबारियों को इसके फायदों की जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि सिडबी और एक्जिम बैंक को भी इसमें भाग लेना चाहिए। मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि सही मायने में उभरते सितारे, उभरते उत्तर प्रदेश के लिए बहुत लाभदायक बनने जा रहे हैं। पिछले साढे़ चार साल में उत्तर प्रदेश में 70 लाख नयी एमएसएमई इकाइयों को स्थापित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान एमएसएमई इकाइयों को 2.5 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है जिससे 2.6 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। हमने अनेक क्लस्टर बनाए हैं जिन्हें प्रौद्योगिकी से जोड़ा है। कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित की हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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