लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव 13 नवंबर को होगा। चुनाव के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। इस सीट पर उम्मीदवारों की जीत का बड़ा दिलचस्प इतिहास है। वर्ष 1967 से लेकर आज तक इस विधानसभा में क्षेत्र का एक भी व्यक्ति विधायक निर्वाचित नहीं हुआ। यहां तक की सहारनपुर और हरियाणा के लोग आए चुनाव जीत और विधानसभा पहुंच गए लेकिन 57 साल से एक भी क्षेत्रीय विधायक नहीं चुना गया। इस बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार शाह नजर जो इस विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं जनता से बाहरी प्रत्याशियों को हराने के लिए वोट मांग रहे हैं।
इनके बीच है मुक़ाबला
वहीं दूसरी तरफ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के मुखिया जयंत चौधरी मिथलेश पाल की जीत को सुनिशिचित करने के लिए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दिए हैं। यहीं वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी 04 नवंबर, रालोद मुखिया और मोदी सरकार में मंत्री जयंत चौधरी 06 नवंबर को और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 09 नवंबर को चुनावी सभा को संबोधित करने के लिए मीरापुर जा रहे हैं।
कुल मिलाकर मीरापर विधानसभा का चुनाव त्रिकोणात्मक को गया है। यहां मुख्य मुक़ाबला रालोद-भाजपा गठबंधन की उम्मीदवार मिथलेश पाल और सपा उम्मीदवार सुम्बुल राना के बीच है। बसपा ने इस सीट से क्षेत्रीय नेता शाह नजर को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके अलावा आजाद समाज पार्टी ने जाहिद हुसैन और एआइएमआइएम ने अरशद राणा को उम्मीदवार बनाया है। इन्हीं उम्मीदवारों के बीच मीरपुर विधानसभा में वोट हासिल करने की मस्कत हो रही है।
बीते विधानसभा चुनाव में सपा और रालोद गठबंधन से चुनाव लड़े चंदन चौहान मुस्लिम, जाट, गुर्जर समीकरण के सहारे जीत दर्ज करने में सफल रहे थे, लेकिन अब यह कहा जा रहा है कि भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतारी गई मिथलेश पाल को मुस्लिमों का वोट मिलना मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में अब भाजपा और रालोद क्षेत्र के जाट, पाल और गुर्जर के साथ बहुसंख्यकों समाज का वोट मिथलेश पाल के पक्ष में लाने की रणनीति के तहत कार्य कर रही हैं, जबकि सपा को अपने पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक फार्मूले पर भरोसा है।
मीरापुर का समीकरण और जयंत का दांव
मीरापुर विधानसभा सीट पर करीब सवा तीन लाख मतदाता हैं, जिसमें सवा लाख के करीब मुस्लिम वोटर हैं। जातीय समीकरण के तौर पर इस सीट पर मुस्लिम के बाद दलित करीब 57 हजार वोटर हैं। इसके अलावा 28 हजार जाट, 22 हजार गुर्जर, 18 हजार प्रजापति, 15 हजार पाल, वोटर हैं इसके अलावा सैनी सहित अन्य ओबीसी जातियां है। फीसदी के लिहाज से देखें तो 38 फीसदी ओबीसी, 37 फीसदी मुस्लिम, 20 फीसदी दलित और पांच फीसदी सवर्ण जातियों का वोट है।
सपा मुखिया अखिलेश यादव को उम्मीद है कि इस क्षेत्र में इस बार वह भाजपा और रालोद को हरा कर एक नया समीकरण स्थापित करेंगे और जयंत चौधरी तथा भाजपा के जाट, पाल और गुर्जर समीकरण को ध्वस्त कर देंगे। अखिलेश का यह विश्वास इस सीट से जयंत चौधरी द्वारा जाट समाज से प्रत्याशी न उतारने की नाराजगी को देखते हुये है।