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महाराष्ट्र विधान मंडल में विपक्ष के नेताओं का न होना सत्ताधारी दलों के लिए शर्म की बात?, संजय राउत ने कहा-बीजेपी और सीएम फडणवीस ने अपमान करने का लगातार किया काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 13, 2025 15:04 IST

अलग विदर्भ राज्य के गठन का सुझाव दिया था और इसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कथित तौर पर समर्थन प्राप्त था।

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ठळक मुद्देशिवसेना (उबाठा) महाराष्ट्र को विभाजित करने के हर कदम का कड़ा विरोध करेगी। नगर निगमों, राज्य विधानसभाओं और संसद में विपक्ष के नेता का होना लोकतांत्रिक आवश्यकता है। विपक्ष के नेता के पद को कमजोर करने और उसका अपमान करने का लगातार काम किया है।

मुंबईः शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे (उबाठा) के नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि महाराष्ट्र विधान मंडल में विपक्ष के नेताओं का न होना सत्ताधारी दलों के लिए शर्म की बात है, क्योंकि यह पद के प्रति उनके भय को दर्शाता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करता है। राउत ने पत्रकारों से बात करते हुए राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की उस टिप्पणी की भी आलोचना की, जिसमें उन्होंने अलग विदर्भ राज्य के गठन का सुझाव दिया था और इसे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का कथित तौर पर समर्थन प्राप्त था।

उन्होंने कहा कि शिवसेना (उबाठा) महाराष्ट्र को विभाजित करने के हर कदम का कड़ा विरोध करेगी। राउत ने कहा, "नगर निगमों, राज्य विधानसभाओं और संसद में विपक्ष के नेता का होना लोकतांत्रिक आवश्यकता है। यह संवैधानिक आवश्यकता भी है।" उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 10-11 वर्ष में, विशेष रूप से चुनावी प्रक्रियाओं के माध्यम से, यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं कि कहीं भी विपक्ष के नेता की नियुक्ति न हो। उन्होंने दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष के नेता के पद को कमजोर करने और उसका अपमान करने का लगातार काम किया है।

राउत ने कहा, "महाराष्ट्र में विधान मंडल के दोनों सदनों में विपक्ष का कोई नेता नहीं है। सत्ताधारी दलों को शर्म आनी चाहिए। विपक्ष के नेता के बिना ही विधायी कार्य चल रहा है, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वे इस पद से डरते हैं।" उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में ऐतिहासिक रूप से विपक्ष के नेता रहे हैं, तब भी जब विपक्षी दलों के सदस्यों की संख्या कम थी।

राज्यसभा सदस्य ने कहा, "जब संसद में भाजपा के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं था, तब भी उसे विपक्ष के नेता का पद दिया गया था।" विपक्ष राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में विपक्ष के सदस्यों की नियुक्ति की मांग कर रहा है। शिवसेना (उबाठा) ने भास्कर जाधव को विधानसभा के लिए नामित किया है, जबकि कांग्रेस ने सतेज पाटिल को विधान परिषद के लिए प्रस्तावित किया है।

संसद में हाल में ‘वंदे मातरम्’ पर हुई चर्चा पर टिप्पणी करते हुए राउत ने कहा कि भाजपा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से घबराई हुई प्रतीत हुई। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा की वजह से चर्चा में उत्साह था और इससे यह विश्वास मजबूत हुआ कि लोकतंत्र अब भी जीवित है।"

उन्होंने कहा कि इस चर्चा ने भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों की पोल खोल दी है। राउत ने राज्य विधानसभा में महाराष्ट्र गीत पर चर्चा की मांग करते हुए कहा कि इससे इस बात पर बहस शुरू होगी कि महाराष्ट्र के गठन एवं मुंबई के लिए किसने योगदान दिया।

टॅग्स :महाराष्ट्रदेवेंद्र फड़नवीसएकनाथ शिंदेसंजय राउतअजित पवारउद्धव ठाकरे
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