Rajouri Encounter: जम्मू कश्मीर में सेना को आतंकवाद का सफाया करने में अब फिर से कड़ी मेहनत करनी होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान ने अब अपने रिटायर्ड फौजियों को आतंकी बना प्रदेश में भेजना आरंभ किया है। सेना मानती है कि ऐसा होने से आतंकवाद के खिलाफ भारत की जंग एक नए मोड़ पर पहुंच गई है।
सेना की उत्तरी कमान के आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र दिवेद्धी ने आज इसे माना है कि प्रदेश में मारे गए कई विदेशी आतंकियों की पृष्ठभूमि की जांच के दौरान यह जानकारी मिली है कि वे पाक सेना में काम कर चुके हैं। उनका कहना था कि इसलिए ऐसे आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान उन्हें कड़ा मुकाबला सहन करने के अतिरिक्त अपने जवानों व अफसरों को खोना पड़ा है।
सेना कमांडर शुक्रवार सुबह जम्मू में राजौरी के कालाकोट में शहीद हुए सेना के जवानों व अफसरों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेना प्रदेश में सक्रिय सभी आतंकियों को मार गिराएगी। उनके अनुमान के मुताबिक, राजौरी और पुंछ के साथ लगते इलाकों में अभी भी 20 से 25 आतंकवादी सक्रिय हो सकते हैं।
वे कहते थे कि इनमें से कितने पाक सेना के रिटायर्ड फौजी हैं, इसके बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है। उनका कहना था कि प्रदेश में एक्टिव आतंकी संगठनों को जम्मू कश्मीर में स्थानीय आतंकी नही मिल रहे हैं। ऐसे में वह विदेशी आतंकियों को भेजने की कोशिशें कर रहा है। हम प्रदेश में सक्रिय सभी विदेशी आतंकियों को मार गिराएंगे।
वे कहते थे कि आईएसआई पहले कई बार अपने फौजियों को भी इस ओर भेज चुकी है और अब उसने इस नए पैंतरे को चला कर कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को अहम मोड़ पर ला खड़ा किया है।लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने कहा कि हमने मुठभेड़ में अपने पांच बहादुर सैनिकों को खो दिया, लेकिन दो खूंखार आतंकवादियों को भी मार गिराया है।
हमारे जवानों ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना देश की रक्षा के लिए सर्वाेच्च बलिदान दिया है। वे दावा करते थे कि दो खूंखार आतंकवादियों के मारे जाने से आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र और पाकिस्तान को एक बड़ा झटका लगा है। दोनों आतंकवादी ढांगरी, कंडी और राजौरी में निर्दाेष नागरिकों की हत्या में शामिल थे। उनका खात्मा आप्रेशन में शामिल संयुक्त बल टीम के लिए प्राथमिकता थी।