महाराष्ट्र विधानमंडल ने बुधवार को सर्वसम्मति से संविधान (126 वां) संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण को और 10 साल बढ़ाने का प्रावधान है।
इस विधेयक को मंजूरी प्रदान करने के लिए विधानमंडल का एक दिन का विशेष सत्र आयोजित किया गया था। संसद ने 11 दिसंबर को इस विधेयक को मंजूरी प्रदान की थी। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विधानमंडल में विधेयक को मंजूरी देने के लिए प्रस्ताव पेश किया।
विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फड़नवीस ने इसका समर्थन किया। ठाकरे और फड़नवीस ने कहा कि पिछले 70 वर्षों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों ने खासी प्रगति की है और जरूरत इस बात की है कि संविधान निर्माताओं की सोच के अनुसार समावेशी चरित्र बनाए रखा जाए।
विधान परिषद में भाजपा के सुरेश धस, कांग्रेस के भाई जगताप आदि नेताओं ने कहा कि वे इस मुद्दे पर कुछ बोलना चाहते हैं। लेकिन सभापति रामराजे निंबालकर ने उन्हें अनुमति नहीं दी। निंबालकर ने कहा कि संसद ने पहले ही विधेयक को मंजूरी दे दी है और राज्य को भी ऐसा करने की जरूरत है। इस पर और चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे विधेयक पर बोलने के लिए जोर नहीं दें। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को उनके मसौदा भाषण को मंजूरी दी थी। महाराष्ट्र विधानसभा ने भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी जानने के लिए जाति आधारित जनगणना की मांग करने वाला प्रस्ताव पारित किया।
महाराष्ट्र के किसान नेता ने किसानों के लिए अधिकार आयोग के गठन की मांग की
शिवसेना नेता एवं किसान कार्यकर्ता किशोर तिवारी ने किसानों की आत्महत्या तथा कृषि संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए बुधवार को मानवाधिकार आयोग की तर्ज पर एक संस्था के गठन की मांग की। तिवारी ने कहा कि उन्होंने न्यायिक शक्तियों से युक्त ‘महाराष्ट्र किसान अधिकार आयोग’ के गठन का प्रस्ताव शिवसेना अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजा है। उन्होने कहा कि इससे किसान आत्महत्या के तीन दशक से चले आ रहे मुद्दे से निपटा जा सकेगा और एकीकृत कार्यक्रम को लागू करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा।