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सपा-बसपा के गठबंधन से 2019 में भाजपा के इन 3 केंद्रीय मंत्रियों और 3 पूर्व केंद्रीय मंत्रियों की सीट पर है हार का खतरा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 30, 2019 7:50 PM

साल 2019 के लोक सभा चुनाव में भाजपा को यूपी में सपा, बसपा और रालोद के महागठबंधन से सीधा मुकाबला करना होगा। इस सीरीज के तहत हम उत्तर प्रदेश की प्रमुख सीटों के साल 2014 के मतगणना के आधार पर हम नए राजनीतिक समीकरण का आगामी चुनाव पर पड़ने वाले असर का अनुमान पेश करेंगे।

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लोक सभा चुनाव 2019 से पहले अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी (सपा), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और अजित सिंह की राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने उत्तर प्रदेश की 80 लोक सभा सीटों पर महागठबन्धन बनाकर चुनाव लड़ने की घोषणा करके भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को रणनीतिकारों पर पहला वार कर दिया।

माना जा रहा है कि भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस भीतरखाने इस महागठबंधन से दुरुभि संधि कर सकती है। गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के संसदीय उपचुनावों में सपा और बसपा गठबंधन ने भाजपा को चारों खाने चित कर दिया। इन तीनों सीटों पर बसपा-सपा गठबंधन ने भाजपा को हराया। इन नतीजों का साफ संकेत था कि बसपा-सपा ज़मीन पर अपने वोटरों को भाजपा के ख़िलाफ एकजुट कर सकते हैं। लोकमत न्यूज़ लोक सभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में साल 2014 के आम चुनाव में हुए मतदान से जुड़े विश्लेषण पेश करता रहेगा। आइए आज देखते हैं कि ऐसी स्थिति में नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेताओं का क्या हाल हो सकता है। 

1- महेश शर्मा, केंद्रीय मंत्री

गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के सांसद महेश शर्मा को साल 2014 में कुल 5,99,702 वोट मिले थे। इस सीट से दूसरे स्थान पर रहे सपा प्रत्यासी नरेंद्र भाटी को 3,19,490 वोट मिले थे। वहीं तीसरे स्थान पर रहे बसपा के सतीश कुमार को कुल 1,98,237 वोट मिले थे। इस सीट पर चौथे स्थान पर आम आदमी पार्टी के कृशन पाल सिंह (32,358) और पाँचवे स्थान पर कांग्रेस के रमेश चंद तोमर (12,727) रहे थे। अगर सपा और बसपा के वोट जोड़ें तो महेश शर्मा की सीट फिर भी बचती लगती है लेकिन बीजेपी विरोधी वोट एक जुट होने की स्थिति में महेश शर्मा को कांटे की टक्कर का सामना करना पड़ेगा। यह भी साफ है कि इस बार साल 2014 जैसी मोदी लहर देश में नहीं है तो गौतमबुद्ध नगर को सीट को लेकर बीजेपी 2019 के नतीजे आने तक आश्वस्त नहीं हो सकती।

गौतमबुद्ध नगर के साल 2014 के वोट के समीकरण

भाजपा=  5,99,702 (विजयी उम्मीदवार महेश शर्मा)

सपा+बसपा= 5,17,727

सपा+बसपा+आप= 5,50.085

सपा+बसपा+आप+कांग्रेस= 5.62,812

2- मनोज सिन्हा, केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा की संसदीय गाजीपुर भी उन सीटों में हैं जिनको लेकर बीजेपी की जान 2019 में पत्ते पर टँगी होगी। वाराणसी के पड़ोस में स्थित गाजीपुर संसदीय सीट से मनोज सिन्हा ने 3,06,929 वोट पाकर सपा के उम्मीदवार को हराया था। दूसरे स्थान पर रहे सपा के शिवकुमार कुशवाहा को कुल 2,74,477 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव थे जिन्हें 2,41,645 वोट मिले थे। इन दोनों के अलावा चौथे स्थान पर आरपीडी के डीपी यादव को 59,510 वोट और कांग्रेस के मोहम्मद मकसूद खान को 18,908 वोट मिले थे। 

पिछले चुनाव के आंकड़ों से साफ है कि सपा और बसपा के गठजोड़ से गाजीपुर सीट का भाजपा के हाथ से फिसलना लगभग तय है। गाजीपुर संसदीय सीट पर साल 2004 और 2009 में भाजपा को सपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। 1999 के चुनाव में मनोज सिन्हा ने इस सीट से जीत हासिल की थी।

गाजीपुर के साल 2014 के वोट के समीकरण

भाजपा=  3,06,929 (विजयी उम्मीदवार मनोज सिन्हा)

सपा+बसपा= 5,16,122

3- उमा भारती, केंद्रीय मंत्री

उमा भारती ने चुनाव आने से पहले ही साल 2019 का चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। ऐसे में उनके हारने का सवाल नहीं उठता लेकिन इतना साफ है कि उमा भारती की गौरमौजूदगी में भाजपा के लिए यह सीट बढ़ाना टेढ़ी खीर साबित होगा। पिछले चुनाव में साध्वी उमा भारती ने 5,75,889 पाकर जीत हासिल की थी। सपा के चंद्रपाल सिंह यादव 3,85,422 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। बसपा की अनुराधा शर्मा 2,13,792 के साथ तीसरी स्थान पर और कांग्रेस उम्मीदवार 84,089 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहा था।

साल 2014 के वोट के समीकरण

भाजपा=  5,75,889 (विजयी उम्मीदवार उम्मीदवार)

सपा+बसपा= 5,99,214 

सपा+बसपा+कांग्रेस= 6,83,303

4- महेंद्रनाथ पाण्डेय, पूर्व केंद्रीय मंत्री 

नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्व मंत्री और उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पाण्डेय ने साल 2014 के आम चुनाव में वाराणसी से सटी चंदौली संसदीय सीट से जीत हासिल की थी। डॉक्टर महेंद्रनाथ पाण्डेय को कुल 4,14,135 वोट मिले थे। वहीं दूसरे नंबर पर रहे बसपा के अनिल कुमार मौर्य को 2,57,379 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर सपा के रामकिशुन रहे थे जिन्हें 2,04,145 वोट मिले थे। चंदौली सीट से कांग्रेस के तरुणेंद्र चंद पटेल को 27,194 वोट और आम आदमी पार्टी के इरशाद को 15, 598 वोट मिले थे।

चंदौली सीट पर पिछले तीन चुनावों से भाजपा को हार मिल रही थी। 1999 में इस सीट से सपा, 2004 में बसपा और 2009 में सपा प्रत्याशी को जीत मिली थी। जाहिर महेंद्रनाथ पाण्डेय के लिए 2019 में अपनी सीट बचानी मुश्किल होगी। 

साल 2014 के वोट के समीकरण

भाजपा=  4,14,135 (विजयी उम्मीदवार महेंद्रनाथ पाण्डेय )

सपा+बसपा= 4,61,524

सपा+बसपा+आप= 4,77,122

सपा+बसपा+आप+कांग्रेस= 5,04,316

5- कलराज मिश्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री

कलराज मिश्र मई 2014 से अगस्त 2017 तक नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री रहे। साल 2014 के आम चुनाव में देवरिया सीट चार संसदीय चुनावों के बाद भाजपा के झोली में आयी। जानकारों ने इसे मोदी लहर का फल माना। साल 2014 में देवरिया से कलराज मिश्र ने 4,96,500 वोट पाकर जीत हासिल की। बसपा के नियाज अहमद को 2,31,114 और सपा के बलेश्वर यादव को 1,50,852 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार को 37,752 वोट मिले थे।

 देवरिया सीट पर भाजपा को 1998, 1999, 2004 और 2009 पर हार मिली थी। ऐसे में 2019 में देवरिया सीट अगर भाजपा के हाथ से फिसल जाये तो किसी को हैरत नहीं होगी। अभी तक यह भी निश्चित नहीं है कि इस सीट से कलराज मिश्र ही लड़ेंगे या भाजपा उन्हें बढ़ती उम्र का हवाला देकर मार्ददर्शक की भूमिका में रखेगी।

साल 2014 के वोट के समीकरण

भाजपा=  4,96,500 (विजयी उम्मीदवार कलराज मिश्र)

सपा+बसपा= 3,81,966

सपा+बसपा+कांग्रेस= 4,19,718

6- मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री

अटल बिहारी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे वरिष्ठ भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी ने 2014 में वाराणसी संसदीय सीट नरेंद्र मोदी के लिए छोड़ी थी। जोशी ने कानपुर से संसदीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। मुरली मनोहर जोशी को कुल 4,74,712 वोट मिले थे। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल रहे जिन्हें 2,51,766 वोट मिले थे। बसपा के सलीम अहमद 53,218 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर और सपा के सुरेंद्र मोहन अग्रवाल 25,723 वोटों के स्थान पर चौथे स्थान पर रहे थे। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार को इस सीट से 11,925 वोट मिले थे और वो पाँचवे स्थान पर रही थी।

श्रीप्रकाश जायसवाल 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में लगातार तीन बार कानपुर से सांसद चुने गये थे लेकिन 2014 में मोदी वेव में वो अपनी सीट नहीं बचा सके और जोशी के हाथों सीट गद्दी गँवा बैठे। कुछ राजनीतिक जानकार इस बात पर संदेह जता रहे हैं कि जोशी को फिर से कानपुर से भाजपा टिकट देगी। अगर भाजपा जोशी को दोबारा कानपुर से लड़ाती है तो भी इस बार उनके सिर पर हार की तलवार लटकती रहेगी। 

साल 2014 के वोट के समीकरण

भाजपा= 4,74,712 (विजयी उम्मीदवार मुरली मनोहर जोशी)

कांग्रेस = 2,51,766

सपा+बसपा= 78, 936

सपा+बसपा+कांग्रेस= 3,30,702

बसपा और सपा के साथ आ चुका है रालोद

भाजपा को यूपी में सपा और बसपा के गठबंधन से ही मुकाबला नहीं करना है। अजित सिंह की रालोद भी सपा और बसपा से हाथ मिला चुकी है। पूर्वी यूपी में अगर सपा बसपा भाजपा को चित करने में सक्षम हैं तो पश्चिमी यूपी में जाट बहुल सीटों पर रालोद सपा-बसपा के साथ मिलकर चुनावी नतीजा पलटने का दम रखती है। इस सीरीज की अगड़ी कड़ी में ऐसी ही कुछ अन्य सीटों का विश्लेषण करेंगे।

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