इस बार राजस्थान में जोधपुर लोकसभा सीट की लड़ाई देखना दिलचस्प होगा। यह गढ़ प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व कांग्रेस का माना जाता है। बीते साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत का जादू सिर चढ़कर बोला और उन्हें भारी जीत हासिल हुई। यही वजह है कि उनके ऊपर इस लोकसभा सीट को बचाने की बड़ी चुनौती है क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेद्र मोदी लहर होने की वजह से यह सीट उनकी झोली से छिन गई थी और बीजेपी ने वापसी कर ली थी। जोधपुर लोकसभा सीट पर पहले चरण (29 अप्रैल) में मतदान कराया जाएगा।
कांग्रेस का विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठी है। सूबे की दोनों दिग्गज पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी 25 में से 25 सीटों को जीतने का टारगेट लेकर चल रही हैं, जिसकी वजह से लड़ाई कड़ी देखी जा रही है। जोधपुर लोकसभा निर्वाचन झेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें फलोदी, लोहावट, शेरगढ़, सरदारपुरा, शेओर, सूरसागर, लूणी, पोकरण शामिल हैं। अभी हाल में हुए विधानसभा चुनाव में इन आठ विधानसक्षा क्षेत्रों में से 6 पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया था और बीजेपी के खाते सिर्फ दो सीटें गई थीं।
पांच बार सांसद चुने गए अशोक गहलोत
जोधपुर लोकसभा सीट जैसलमेर के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाई गई है। यहां से केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सांसद हैं और इस सीट पर राजपूतों का दबदबा है। इसके अलावा विश्नोई समाज का भी खासा महत्व रहता है। जबकि, मुस्लिम निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इस सीट पर अबतक आजादी के बाद 16 बार चुनाव हुए हैं और 1 उपचुनाव हुआ है। इनमें से 8 बार कांग्रेस, 4 बार बीजेपी, 4 बार निर्दलीय, 1 बार भारतीय लोकदल ने जीत हासिल की है। वहीं, अशोक गहलोत यहां से पांच बार सांसद रहे हैं, जिनमें उन्होने साल 1980, 1984, 1991, 1996, 1998 का लोकसभा चुनाव जीता।जोधपुर लोकसभा सीट का इतिहास
जोधपुर लोकसभा सीट पर पहली बार 1951 में निर्दलीय प्रत्याशी हनवंत सिंह ने जीत हासिल की थी और 1952 में हुए उपचुनाव में जसवंतराज मेहता निर्दलीय चुने गए। इसके बाद 1957 में जसवंतराज मेहता ने कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा और दूसरी बार जीत हासिल की। हालांकि 1962 का चुनाव निर्दलीय प्रत्याशी लक्ष्मीमल सिंघवी से हार गए। 1967 में कांग्रेस से एन के सांघी जीते। 1971 में कृष्णाकुमारी निर्दलीय विजयी हुए।
1977 में भारतीय लोक दल ने जीत हासिल की और राणछोड़दास गट्टानी सांसद चुने गए। 1980 और 1984 के चुनाव में कांग्रेस की ओर से अशोक गहलोत जीते। पहली बार बीजेपी ने 1989 में चुनाव जीता और जसवंतसिंह जसोल सांसद बने। फिर कांग्रेस ने वापसी करते हुए 1991, 1996, 1998 का चुनाव जीता। अशोक गहलोत लगातार तीन बार सांसद चुने गए। 1999 और 2004 में बीजेपी से जसवंत सिंह बिश्नोई लगातार दो बार जीते। 2009 के चुनाव में कांग्रेस से चंद्रेशकुमारी जीतीं और मोदी लहर के चलते 2014 के चुनाव में बीजेपी से गजेन्द्र सिंह शेखावत ने विजय हासिल की।
लोकसभा चुनाव के आंकड़े
चुनाव आयोग के मुताबिक, साल 2014 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान जोधपुर निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख, 22 हजार, 116 थी। इनमें से 10 लाख, 71 हजार, 453 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था और 62.22 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी के उम्मीदवार गजेन्द्र सिंह शेखावत को 7 लाख, 13 हजार, 515 वोट मिले थे। वहीं कांग्रेस की उम्मीदवार चंद्रेशकुमारी को 3 लाख, 34 हजार, 64 वोट मिले थे और बीजेपी ने उन्हें 4 लाख, 10 हजार, 51 वोटों के अंतर से हराया था।