ब्लॉग: दुनिया में 6 अरब से ज्यादा लोग ले रहे प्रदूषित हवा में सांस

By योगेश कुमार गोयल | Published: March 13, 2024 03:23 PM2024-03-13T15:23:40+5:302024-03-13T15:26:17+5:30

वायु प्रदूषण भारत सहित दुनिया के कई देशों के लिए विकराल समस्या बन चुका है, जिसके कारण बीमारियों और मौतों का आंकड़ा वर्ष-दर-वर्ष बढ़ रहा है और इससे लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।

More than 6 billion people in the world are breathing polluted air | ब्लॉग: दुनिया में 6 अरब से ज्यादा लोग ले रहे प्रदूषित हवा में सांस

फाइल फोटो

Highlightsवायु प्रदूषण भारत सहित दुनिया के कई देशों के लिए विकराल समस्या बन चुका हैइस कारण बीमारियों और मौतों का आंकड़ा वर्ष-दर-वर्ष बढ़ रहा हैयही नहीं लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है

वायु प्रदूषणभारत सहित दुनिया के कई देशों के लिए विकराल समस्या बन चुका है, जिसके कारण बीमारियों और मौतों का आंकड़ा वर्ष-दर-वर्ष बढ़ रहा है और इससे लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। नेचर सस्टेनेबिलिटी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन रिपोर्ट में बताया गया है कि वायु गुणवत्ता मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल है। 

अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, वायु प्रदूषण जैसे मुद्दों को प्रायः एक ऐसी शारीरिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ही देखा जाता है जो अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बनता है लेकिन अनुसंधान टीम ने भारत में आत्महत्या की दर पर भी वायु प्रदूषण के कारण बढ़ते तापमान के प्रभाव का अध्ययन किया और पाया कि अत्यधिक गर्मी ऐसी घटनाओं को भी बढ़ाती है। 

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि चिंता या अवसाद के लक्षणों से पीड़ित बच्चे वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार वायु प्रदूषण का बढ़ा हुआ स्तर मानसिक बीमारी का कारण बन सकता है क्योंकि ये प्रदूषक तनाव हार्मोन ‘कोर्टिसोल’ को बढ़ाते हैं, जो मस्तिष्क में एक अन्य रसायन के स्तर को प्रभावित करता है, जिसे ‘डोपामाइन’ या ‘हैप्पी हार्मोन’ के रूप में जाना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार चिंता या अवसाद के लक्षणों से पीड़ित लोग वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण दुनिया में हर साल लाखों लोगों की असामयिक मौत हो जाती है लेकिन वैश्विक स्तर पर इसकी अनदेखी हैरान-परेशान करने वाली है। ‘सीआरईए’ (ऊर्जा और स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र) के आंकड़ों के मुताबिक जीवाश्म ईंधन जलाने से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषक प्रतिवर्ष कम से कम 30 लाख वायु प्रदूषण मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। 

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का एक अध्ययन भी मेडिकल जर्नल ‘द लैंसेट’ में प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि हवा में मौजूद सूक्ष्म प्रदूषित कण पीएम 2.5 के कारण ही प्रतिवर्ष 10 लाख लोगों की असामयिक मौत हो रही है। 

पर्यावरण और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत डेविड आर बॉयड के अनुसार इस समय दुनिया के 6 अरब से ज्यादा लोग इतनी प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं, जिसने उनके जीवन, स्वास्थ्य और बेहतरी को खतरे में डाल दिया है और इसमें एक-तिहाई संख्या बच्चों की है। वायु प्रदूषण घर के अंदर और बाहर एक ऐसा मूक और अदृश्य हत्यारा बन गया है, जो हर साल 70 लाख से अधिक लोगों की असामयिक मौत के लिए जिम्मेदार है।

Web Title: More than 6 billion people in the world are breathing polluted air

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