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झारखंड में BJP का खेल निराला, पार्टी से बगावत कर CM के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले सरयू राय अभी भी हैं मंत्री और विधायक

By एस पी सिन्हा | Published: December 12, 2019 5:56 AM

झारखंडः सरयू राय के इस्तीफे के बाद राजभवन ने इस इस्तीफे को मुख्यमंत्री के पास भेजा, लेकिन चुनावी व्यस्तता के कारण मुख्यमंत्री ने अब तक इस्तीफे पर अपनी सहमति राजभवन को नहीं भेजी है और इसलिए राजभवन ने इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं किया है. 

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ठळक मुद्देझारखंड में भाजपा के निराले खेल को देख सभी लोग भौंचक हैं.भाजपा से बगावत कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने पर मंत्री सरयू राय को दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

झारखंड में भाजपा के निराले खेल को देख सभी लोग भौंचक हैं. दरअसल, भाजपा से बगावत कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ने पर मंत्री सरयू राय को दल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. लेकिन वह अब भी मंत्री के तौर पर पूर्ववत बने हुए हैं. जबकि सरयू राय ने रघुवर कैबिनेट से 17 नवंबर को ही कुट्टी कर ली थी. उनका त्यागपत्र अबतक राजभवन में पड़ा है. यही नही सरयू राय ने विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था. लेकिन उसकी भी अबतक स्वीकृति नहीं हो पाई है. 

इस तरह से मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से ताल ठोकने वाले भाजपा के बागी और निष्कासित नेता सरयू राय अभी भी रघुवर मंत्रिमंडल का हिस्सा बने हुए हैं. सरयू राय रघुवर दास के कैबिनेट में खाद्य आपूर्ति मंत्री के पद पर थे. हालांकि, सरयू राय राज्य सरकार से मंत्री पद पर रहने के कारण मिलने वाली किसी सुविधा का लाभ नहीं ले रहे हैं. लेकिन राज्यपाल जब तक सरयू राय का इस्तीफा स्वीकार न कर लेते, तब तक कागजों में उन्हें मंत्री माना ही जाएगा. 

सूत्रों की मानें तो इसका असली कारण इस्तीफा देने का तकनीकी वजह है. दरअसल पार्टी से निकाले जाने के बाद सरयू राय ने अपना इस्तीफा सीधे राज्यपाल को भेज दिया. तकनीकी तौर पर इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेजा जाता है, जिसपर मुख्यमंत्री अपनी सहमति के बाद राज्यपाल को भेजते हैं और इसके बाद इस्तीफा स्वीकार हो जाता है. लेकिन इस मामले में ठीक उल्टा हुआ. 

सरयू राय के इस्तीफे के बाद राजभवन ने इस इस्तीफे को मुख्यमंत्री के पास भेजा, लेकिन चुनावी व्यस्तता के कारण मुख्यमंत्री ने अब तक इस्तीफे पर अपनी सहमति राजभवन को नहीं भेजी है और इसलिए राजभवन ने इस्तीफा अब तक स्वीकार नहीं किया है. 

इस मामले पर सरयू राय के कहना है कि मैने इस्तीफा भेज दिया है. अब मुख्यमंत्री और राजभवन जाने कि इस पर वो आगे क्या करेंगे? लेकिन जानकारों की माने तो अब इस इस्तीफे पर फैसला इसलिए भी बहुत जरूरी नहीं है क्योंकि चुनाव बाद चुनाव हारने या जीतने, दोनों स्थिति में मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना होता है और उसके साथ ही उनके मंत्रियों का इस्तीफा हो जाता है. ऐसे में अब मुख्यमंत्री चाहें तो इस्तीफा राजभवन भेज दे या चाहें तो चुनाव के परिणामों तक इंतजार कर लें. 

मंत्रिमंडल से इस्तीफे के बाद राजभवन मुख्यमंत्री सचिवालय को इस संबंध में सूचित करता है. मुख्यमंत्री सचिवालय से अनुशंसा मिलने के बाद इस्तीफे की स्वीकृति दी जाती है. राजभवन के स्तर से इस बाबत संबंधित लोगों को भी सूचित किया जाता है. इसके बाद इसका बकायदा गजट नोटिफिकेशन होता है.

वहीं, बताया जा रहा है कि सरयू राय ने इस्तीफा स्वीकार करने के लिए राजभवन पर दबाव बनाया है. उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात का भी वक्त मांगा है. संभव है कि गुरुवार को वे राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. उन्होंने बताया कि इस्तीफा फैक्स एवं ईमेल के माध्यम से राज्यपाल को प्रेषित किया था. अब वे व्यक्तिगत तौर पर मिलकर उनसे आग्रह करेंगे कि मंत्री पद से त्यागपत्र स्वीकार कर लिया जाए. इसके अलावा वे विधानसभा अध्यक्ष से भी मुलाकात कर विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार करने की विनती करेंगे. लेकिन तबतक भाजपा से बाहर होने के बावजूद वह तकनीकी तौर पर सूबे के मंत्री बने हुए हैं. 

टॅग्स :झारखंड विधानसभा चुनाव 2019असेंबली इलेक्शन 2019भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)रघुवर दास
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