ब्लॉग: सरकारी अस्पतालों की लापरवाही का नतीजा नागरिक न भुगतें
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: May 18, 2024 10:34 AM2024-05-18T10:34:42+5:302024-05-18T10:35:30+5:30
केरल में कोझिकोड स्थित सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा चार साल की बच्ची का गुरुवार को उंगली की जगह जीभ का ऑपरेशन करने का जो मामला सामने आया है, वह निश्चय ही बेहद चिंताजनक है.
केरल में कोझिकोड स्थित सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा चार साल की बच्ची का गुरुवार को उंगली की जगह जीभ का ऑपरेशन करने का जो मामला सामने आया है, वह निश्चय ही बेहद चिंताजनक है. बच्ची के एक हाथ की छठी उंगली को हटाने के लिए सर्जरी की जानी थी, लेकिन सर्जरी के बाद परिजनों ने जब बच्ची के मुंह में रुई देखी तो उन्होंने इस बारे में पूछताछ की. हद तो यह है कि संबंधित डाक्टर ने इस मामले में अपनी गलती मानने के बजाय जवाब दिया कि बच्ची के मुंह में सिस्ट बन गई थी, जिसके चलते जीभ का ऑपरेशन करना पड़ा. जबकि बच्ची के परिजनों का कहना है कि उसकी जीभ में कोई दिक्कत ही नहीं थी.
बाद में अस्पताल ने परिजनों को बताया कि गलती हुई है, क्योंकि उसी दिन दो बच्चों की सर्जरी की जानी थी. सरकारी अस्पतालों में लापरवाही की यह कोई इकलौती घटना नहीं है. हाल ही में पंजाब के संगरूर जिले के एक सरकारी अस्पताल में एक युवक पीलिया का इलाज कराने के लिए भर्ती हुआ था लेकिन उसे बताया गया कि उसकी किडनी खराब हो चुकी है. जबकि दूसरी प्रयोगशाला में उसने जांच कराई तो पता चला कि किडनियां सामान्य हैं और उसे केवल पीलिया है.
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आई एक महिला का पैर ही चूहे ने कुतर दिया. कुछ माह पहले बदायूं के जिला महिला अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती एक महिला के ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में ही ग्लव्स और कुछ कपड़े छोड़ दिए जाने की बात सामने आई थी. सरकारी अस्पतालों में इस तरह की लापरवाहियों की खबरें आए दिन सामने आती ही रहती हैं. इसमें कोई शक नहीं कि सरकारी अस्पतालों में योग्यता के मापदंडों पर खरा उतरने वाले काबिल डाॅक्टरों की ही नियुक्ति होती है, लेकिन कुछ डाक्टरों की लापरवाही के कारण सरकारी अस्पतालों की छवि लोगों के मन में बहुत अच्छी नहीं रह गई है और ज्यादा पैसा खर्च होने के बावजूद लोग अक्सर निजी अस्पतालों में ही इलाज कराना पसंद करते हैं.
सरकारी अस्पतालों को सरकार की तरफ से फंड भी अच्छा-खासा मिलता है लेकिन लापरवाही के चलते ही वे निजी अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधा और साफ-सफाई का मुकाबला नहीं कर पाते हैं. अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा पाना लोगों का अधिकार है, लेकिन यह विडंबना ही है कि सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों के लचर प्रदर्शन के कारण ही निजी स्कूल और निजी अस्पताल आज खूब फल-फूल रहे हैं. जहां तक सरकारी अस्पतालों में लापरवाही का सवाल है, इसे हर्गिज बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए और दोषी पाए जाने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.