बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारतीय मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतरिक्ष अन्वेषण संबंधी स्वदेशी तकनीक विकसित करने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं।
इसरो के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम निदेशालय ने 18 संभावित प्रौद्योगिकी विकास क्षेत्रों के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ 2022 में प्रक्षेपित किया जाना है। इसके लिए मॉस्को में वायुसेना के चार लड़ाकू विमान पायलटों का प्रशिक्षण चल रहा है और इस मिशन के लिए संभवत: वे ही उम्मीदवार होंगे। 18 क्षेत्रों में प्रस्तावों को दाखिल करने के लिए 15 जुलाई अंतिम तिथि तय की गई है।
इन क्षेत्रों में विकिरण खतरों का लक्षणीकरण और उन्हें कम करने की तकनीक, अंतरिक्ष भोजन एवं संबंधित प्रौद्योगिकियां, मानव रोबोटिक इंटरफेस, पर्यावरण नियंत्रण एवं जीवन समर्थन प्रणाली, लंबी अवधि के मिशनों के लिए मानवीय मनोविज्ञान और कृत्रिम गुरुत्वाकर्षण प्रौद्योगिकियां शामिल हैं।
निदेशालय ने अपनी अवसर की घोषणा (एओ) में कहा, ‘‘अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए पृथ्वी की निचली कक्षाओं में और उससे आगे भी मानव के जीवित रहने में मददगार किफायती एवं स्वदेशी अत्याधुनिक तकनीकों के विकास के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान/अकादमिक संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित हैं।’’
एओ में कहा गया है कि प्रस्ताव का मुख्य अन्वेषक आवश्यक जानकारी दे और तकनीक के इस्तेमाल के बारे में बताए या मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐसे समाधान मुहैया कराए, जो सामर्थ्य एवं स्वदेशीकरण के संदर्भ में अंतर का पाट सके और अंतरिक्ष ले जाने योग्य पेलोड विकसित करने की क्षमता भी रखता हो। उसने कहा कि प्रस्तावों की छंटनी के लिए इसरो एक चयन समिति गठित करेगा। इनकी छंटनी वैज्ञानिक लाभ, प्रासंगिकता, तकनीकी विषय वस्तु एवं व्यवहार्यता के पहलुओं को ध्यान में रखकर की जाएगी।