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राज्यपाल ने बिहार विधानमंडल के संयुक्त सत्र को संबोधित किया

By भाषा | Updated: November 26, 2020 18:17 IST

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पटना, 26 नवंबर बिहार विधानमंडल की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राज्यपाल फागू चौहान ने "कानून का शासन" स्थापित करने तथा कोविड​​-19 महामारी से निपटने के लिए समय पर कदम उठाने के लिए बृहस्पतिवार को राज्य सरकार की सराहना की।

विपक्षी दलों के सदस्यों ने विकास और कानून व्यवस्था को लेकर किए गए दावों का विरोध किया और राज्यपाल के भाषण के दौरान सरकार विरोधी नारे लगाए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों उप-मुख्यमंत्रियों- तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी तथा विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने विशेष सत्र में भाग लिया।

पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधान परिषद के सदस्य सुशील कुमार मोदी अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ अग्रिम पंक्ति में बैठे।

चौहान ने कहा कि बिहार में पिछले 15 साल में विकास की दर दोहरे अंकों में रही है और समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिला है, जिससे राज्य में गरीबी दर में खासी गिरावट आयी है।

चौहान ने कहा कि राज्य में हाल में शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और निष्पक्ष विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें लोगों ने नीतीश कुमार नीत सरकार के "विकास के एजेंडा" को स्वीकार करते हुए उसे सत्ता में लौटा दिया।

उन्होंने भाषण पढ़ते हुए कहा कि राज्य सरकार का संकल्प "न्याय के साथ विकास" के सिद्धांतों का पालन करते हुए समाज के हर क्षेत्र और वर्ग के विकास के लिए काम करना है।

उन्होंने कहा कि सरकार "कानून का शासन" कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार की नीति अपराध, भ्रष्टाचार और सांप्रदायिकता को " कतई बर्दाश्त नहीं करने की’’ की रही है। राज्य सरकार ने समावेशी विकास की नीति को अपनाया है और बिहार में पिछले 15 वर्षों में विकास दर दोहरे अंकों में रही है।

चौहान ने कोरोना वायरस प्रकोप की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार इस महामारी से निपटने के लिए पहले दिन से सतर्क है और इस संबंध में सभी संभव कदम उठाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोगों, खासकर राज्य के बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों, को वित्तीय और खाद्यान्न सहित हरसंभव सहायता प्रदान की। सरकार ने बंद के दौरान राज्य के बाहर फंसे 20.95 लाख लोगों को विशेष सहायता के रूप में 1,000 रुपये प्रदान किए।

सरकार ने बाहर से आए 15 लाख से अधिक लोगों पर प्रति व्यक्ति 5300 रुपये खर्च, जिन्हें पृथकवास में रखा गया था।

उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य के 1.64 करोड़ राशन कार्ड धारकों को भी सहायता के रूप में 1000 रुपये दिए। राज्य सरकार ने महामारी से निपटने के लिए विभिन्न राहत कार्यों में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा केंद्र सरकार ने राशन कार्ड धारकों को अप्रैल से नवंबर के बीच हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम अनाज और एक किलोग्राम दाल दी।

राज्यपाल ने कहा कि महामारी के प्रसार पर काबू के लिए सरकार ने न केवल परीक्षणों में वृद्धि की, बल्कि बेहतर उपचार के लिए स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रतिदिन एक लाख से अधिक कोविड-19 के नमूनों की जांच की जा रही है।

उन्होंने कहा कि कोरोना मरीजों के स्वस्थ होने की दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है, वहीं संक्रमित व्यक्तियों के बीच मृत्यु दर भी राष्ट्रीय औसत से कम है।

राज्यपाल ने शराबबंदी के बारे मे कहा कि शराब के खिलाफ कानून पहले की तरह ही सख्ती से लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि दहेज और बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ भी सरकार का अभियान जारी रहेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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