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सौ से अधिक शिक्षाविदों ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा पत्र, शिक्षा बजट बढ़ाने की मांग

By अरविंद कुमार | Published: March 19, 2021 7:41 PM

स्कूल बंद होने से 24 करोड़ सत्तर लाख स्कूली छात्रों पर असर पड़ा और दो करोड़ अस्सी लाख प्री स्कूल छात्र भी प्रभावित हुए।

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ठळक मुद्देसमन्वित बाल विकास कार्यक्रम के लिए बजट में कटौती की गई है।कोरोना के कारण लोग बेरोजगार हो गए। लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए।कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से छात्रों की संख्या में कमी आई है।

नई दिल्लीः देश के 100 से अधिक जाने-माने शिक्षाविदों ,सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षक नेताओं ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कोरोना काल  में शिक्षा का बजट बढ़ाने की मांग की है।

राइट टू एजुकेशन फोरम के नेतृत्व में इन लोगों ने सीतारमण को पत्र लिखकर यह मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कोरोना के कारण देश में शिक्षा पर काफी बुरा असर पड़ा है, जिसकी भरपाई के लिए इस वर्ष अधिक शिक्षा बजट की जरूरत है, लेकिन सरकार ने इस बार उल्टे शिक्षा के बजट में भारी कटौती की है, जिससे स्कूली शिक्षा की समस्याओं को सुलझाना और मुश्किल हो जाएगा।

बजट में 5000 करोड़ की कटौती

इन शिक्षाविदों, शिक्षक  नेताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं में प्रोफेसर मुचकुंद दुबे,अरुणा राय, निखिल डे, शांता सिन्हा, प्रवीण झा, अंबरीश राय, राधिका अलका जी किरण मोदी जैसे अनेक लोग शामिल हैं।पत्र में कहा गया है कि एक फरवरी को वर्ष 2021-2022 के लिए पेश बजट में स्कूली शिक्षा के बजट में 5000 करोड़ की कटौती की गई है।

समग्र शिक्षा अभियान में 7701 करोड़ की कटौती

जबकि समग्र शिक्षा अभियान में 7701 करोड़ की कटौती की गई है और आईसीडीएस योजना में भी करीब 7000 की कटौती की गई है। पत्र में कहा गया है कि 1 फरवरी को जो बजट पेश किया गया उसमें स्कूली शिक्षा के लिए 54873 (बजट अनुमान) करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई जोकि अनुमानित बजट (2020-21) से 5000 करोड़ पर कम है, जबकि अनुमानित बजट 59,845 करोड़ रुपए थे।

समन्वित बाल विकास कार्यक्रम में कटौती

इसी तरह समग्र शिक्षा अभियान के लिए 38 751 करोड़ों रुपए के बजट अनुमान (2020-21) को घटाकर 31050 करोड़ रुपए कर दिया हैं। समन्वित बाल विकास कार्यक्रम के लिए बजट में कटौती की गई है औरअनुमानित बजट(2020_21 ) 28 557 करोड़ से घटाकर 21005 किया गया हैं।

पत्र में कहा गया है कि कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी इस बात की रिपोर्ट की है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन होने से छात्रों की संख्या में कमी आई है और 15 लाख  स्कूल बंद हो गए हैं। कोरोना के कारण लोग बेरोजगार हो गए जिसका असर गरीब मां-बाप पर पड़ा और वे बच्चों को स्कूल भेजने की स्थिति में नहीं रहे।

लड़कियों पर असर अधिक

लड़कियों पर असर अधिक हुआ और माता-पिता ने उनकी पढ़ाई छुड़वाकर शादी  के लिए दवाब डाला। स्कूल बंद होने से 24 करोड़ सत्तर लाख स्कूली छात्रों पर असर पड़ा और दो करोड़ अस्सी लाख प्री स्कूल छात्र भी प्रभावित हुए। यह देखते हुए सरकार बजट में वृद्धि करे नही तो इन चुनौतियों का सामना नहीं किया जा सकता है। राइट टू एजुकेशन फोरम के साथ कई जन संगठनों ने इस मुहिम का समर्थन किया है।

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