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न्यायालय ने पुलिस को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त के खिलाफ जांच जारी रखने की इजाजत दी

By भाषा | Updated: December 6, 2021 17:19 IST

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मुंबई, छह दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मुंबई पुलिस को पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ जांच करने की अनुमति दे दी, लेकिन कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोपों में उनके खिलाफ प्राथमिकी पर आरोप पत्र दाखिल करने से उसे रोक दिया।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह अपना जवाब दायर करे कि क्या उसे सौंपी जानी चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सिर्फ “पक्षपात की आशंका” को लेकर चिंतित है।

सीबीआई की तरफ से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्राथमिकी भी केंद्रीय जांच एजेंसी को सौंपी जानी चाहिए और वह इस संबंध में हलफनामा दायर करेंगे।

महाराष्ट्र की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाता ने कहा कि सिंह की याचिका विभागीय जांच के खिलाफ सेवा विवाद है, जिसे केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (सीएटी) के समक्ष चुनौती दी जानी चाहिए।

पीठ ने इस पर कहा, “उनकी सेवा आदि के संबंध में आपके क्या आरोप हैं, यह आपको देखना है। लेकिन यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण संदेशों में से एक है। हमें केवल यही चिंता होनी चाहिए कि क्या अन्य मामलों के संबंध में सीबीआई को इस पर विचार करना चाहिए या नहीं।”

सिंह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने शीर्ष अदालत को बताया कि महाराष्ट्र सरकार पूर्व पुलिस आयुक्त के खिलाफ “दुर्भावना” से कार्रवाई कर रही है।

बाली ने कहा, “आपके (न्यायाधीश के) आदेश के बाद मैं (सिंह) जांच में शामिल हुआ था। मेरे खिलाफ सभी गैर जमानती वारंट और घोषणाएं रद्द हो चुकी हैं।”

उन्होंने कहा, “इसके बाद उन्होंने एक प्राथमिकी में आरोप-पत्र दायर कर दिया। यह उस व्यक्ति द्वारा दी गई शिकायत है जिसके खिलाफ मैंने कार्रवाई की थी। इसके बाद उन्होंने मुझे निलंबित कर दिया। महाराष्ट्र राज्य आपके आदेश को टालने की कोशिश कर रहा है।”

शीर्ष अदालत ने प्रतिवेदन पर संज्ञान लिया और मुंबई पुलिस को जांच जारी रखने की इजाजत दी लेकिन आरोप-पत्र दायर करने पर रोक लगा दी।

न्यायालय ने सिंह को दिए गए अंतरिम संरक्षण की अवधि भी मामले में सुनवाई की अगली तारीख एक जनवरी 2022 तक बढ़ा दी।

राज्य पुलिस ने पूर्व में न्यायालय को बताया था कि सिंह को कानून के तहत ‘व्हिसलब्लोअर’ नहीं माना जा सकता क्योंकि उन्होंने अपने तबादले के बाद ही पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने का फैसला किया।

न्यायालय ने गत 22 नवंबर को सिंह को बड़ी राहत देते हुए महाराष्ट्र पुलिस को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था और आश्चर्य जताते हुए कहा था कि जब पुलिस अधिकारियों और जबरन वसूली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए उनका (सिंह का) पीछा किया जा रहा है, तो एक आम आदमी का क्या होगा।’’

महाराष्ट्र सरकार ने पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने और राज्य सरकार द्वारा किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाने संबंधी परमबीर सिंह की याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए शीर्ष अदालत में एक जवाबी हलफनामा दायर किया। राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा है कि पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामलों में चल रही जांच में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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