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छत्तीसगढ़ सरकार का फैसला, राजीव गांधी किसान न्याय योजना की घोषणा, 18 लाख से अधिक किसानों को होगा लाभ, 21 मई को शुभारंभ

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 19, 2020 6:24 PM

244 करोड़ से अधिक की सिंचाई कर माफी की गई है। भूमि अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाकर 4 गुना किया गया। प्रथम वर्ष 2018 में 80.37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई,  25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से की गई।

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ठळक मुद्देसमर्थन मूल्य पर 18,34,834 किसानों से 82.80 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का नया कीर्तिमान बनाया गया।19 लाख किसानों को लगभग 57 सौ करोड़ रुपए की राशि का भुगतान “आदान सहायता अनुदान” के रूप में 4 किश्तों में करने का निर्णय लिया गया है।

नई दिल्ली/रायपुरः छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करने का फैसला किया है। इस योजना का शुभारंभ 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पुण्यतिथि से किया जाएगा।

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और कृषि सहायता के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना‘ प्रारंभ करने का अनुमोदन है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना बहुत ही दूरगामी निर्णय है और छत्तीसगढ़ के किसानों को इस संकट की घड़ी में संजीवनी प्रदान करने वाला निर्णय है। पूरे देश में कहीं भी किसानों के हित में इतना महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राज्य के 18 लाख 75 हजार किसानों को लाभ मिलेगा। राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत हम राज्य में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करेंगे और कृषि सहायता के लिए खरीफ 2019 में पंजीकृत और उपार्जित रकबे के आधार पर धान, मक्का और गन्ना फसल के लिए 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से अनुदान राशि सीधे किसानों के खातों में डालेंगे। इसके लिए हमने बजट में 5100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

साथ ही खरीफ 2020 से आगामी वर्षों में दलहन और तिलहन फसलों के पंजीकृत और अधिसूचित रकबे के आधार पर निर्धारित राशि प्रति एकड़ की दर से किसानों को सहायता अनुदान के रूप में देंगे। अनुदान लेने वाले किसान ने यदि बीते वर्ष धान की फसल लगायी हो और इस साल धान के स्थान पर योजना के तहत शामिल अन्य फसल लगाता है तब ऐसी स्थिति में किसानों को प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने राज्य के किसानों से वादा किया था कि उन्हें उनकी उपज का पूरा दाम मिलेगा। लोगों ने इसमें कई अड़चने लगाई, अवरोध पैदा किये लेकिन हमने जो कहा था वो निभाया है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार मजदूरों, किसानों और आदिवासियों की जेब में पैसे डालने का काम कर रही है। लोगों की जेब में पैसा आने से इसका असर व्यापार और व्यवसाय पर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था बराबर संचालित होती रहेगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्र सरकार से मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने का आग्रह किया है। मनरेगा के काम बारिश तक चलेंगे। यदि मनरेगा को कृषि से जोड़ा जाता है तो लोगों को इससे निरंतर रोजगार मिलेगा, कृषि की लागत कम होगी और कृषि उत्पादन भी बढ़ेगा।

बघेल ने बताया कि लॉकडाउन में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीणों को रोजगार देने में छत्तीसगढ़ अभी पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों में से करीब 24 फीसदी अकेले छत्तीसगढ़ से हैं। यह संख्या देश में सर्वाधिक है। प्रदेश की 9883 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न मनरेगा कार्यों में औसतन लगभग 23 लाख मजदूर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में वनोपज संग्रहण में भी छत्तीसगढ़ देश में पहले स्थान पर है। देश के कुल वनोपज संग्रहण का 99 प्रतिशत अकेले छत्तीसगढ़ ने ही किया है। बघेल ने कहा कि राज्य के 56.48 लाख गरीब परिवारों को अप्रैल, मई और जून, तीन माह का राशन, प्रति परिवार एक क्विंटल पांच किलोग्राम निःशुल्क प्रदान किया गया है।

244 करोड़ से अधिक की सिंचाई कर माफ

244 करोड़ से अधिक की सिंचाई कर माफी की गई है। भूमि अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाकर 4 गुना किया गया। प्रथम वर्ष 2018 में 80.37 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई,  25 सौ रुपए प्रति क्विंटल की दर से की गई। आगामी वर्ष 2019 में केन्द्र सरकार द्वारा यह कहा गया कि यदि राज्य सरकार धान का बोनस देगी तो सेंट्रल पूल के लिए प्रदेश का चावल नहीं लिया जाएगा। इसके बावजूद समर्थन मूल्य पर 18,34,834 किसानों से 82.80 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का नया कीर्तिमान बनाया गया। साथ ही किसान को यह आश्वस्त किया गया कि उन्हें नुकसान नहीं होने दिया जाएगा और नयी योजना बनाकर किसानों को सशक्त किया जाएगा। धान, मक्का व गन्‍ना के लगभग 19 लाख किसानों को लगभग 57 सौ करोड़ रुपए की राशि का भुगतान “आदान सहायता अनुदान” के रूप में 4 किश्तों में करने का निर्णय लिया गया है, जिसकी पहली किश्त का वितरण 21 मई 2020 से प्रारंभ किया जा रहा है। योजनानुसार धान के किसानों को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाएगा। योजना के अन्तर्गत किसानों के बैंक खाते में डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे राशि अंतरित की जाएगी। योजना के विस्तार में खरीफ में धान, मक्का, सोयाबीन, मूंफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो-कुटकी, रागी एवं रबी में गन्ना की फसलों को भी “आदान सहायता अनुदान” दिया जाना प्रस्तावित है।

आदिवासी अंचलों में स्वावलम्बन, स्वास्थ्य व विकास

छत्तीसगढ़ राज्य में 18 दिसम्बर 2018 को वर्तमान सरकार ने अपना कार्यकाल प्रारंभ किया उस समय तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर मात्र 2500 रूपए प्रति मानक बोरा थी तथा मात्र 8 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था थी। नयी सरकार ने आते ही तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर को बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति मानक बोरा कर दिया। जिससे संग्रहणकर्त्ता 13 लाख से अधिक परिवारों को 600 करोड़ रुपए की आय हुई। वर्तमान में 8 के स्थान पर 25 लघु वनोपजों को समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था कर दी गई है। महुआ का समर्थन मूल्य 17 से बढ़ाकर 30 रुपए किया गया है। आदिवासी अंचलों में 866 हाट बाजारों में लघु वनोपजों की खरीदी की व्यवस्था की गई है व 139 वन धन विकास केन्द्रों में प्राथमिक लघु वनोपजों के प्रसंस्करण की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में जब देश लॉकडाउन में है तब भी छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल ने लघु वनोपज के उपार्जन का कार्य प्रमुखता से किया गया है। जिसके कारण पूरे देश में 30.60 करोड़ रुपए की वनोपजों का संग्रह हुआ है तो उसमें से 28.7 करोड़ रूपए (98 प्रतिशत) छत्तीसगढ़ का हिस्सा है अतः शेष भारत में मात्र 1.93 करोड़ रुपए की लघु वनोपज का संग्रह हुआ है।

वन विभाग द्वारा विभिन्‍न माध्यमों से प्रदत्त रोजगार -सामान्य कार्य - 30 लाख मानव दिवसवनरोपणी -- 20 लाख मानव दिवसकैम्पा - 50 लाख मानव दिवसलाख उत्पादन - 36 हजार मुख्य कृषकआवर्ती चराई - 1 हजार प्रतिदिनजैविक खाद उत्पादन - 5 हजारमास्क निर्माण - 8 हजार महिलाओं द्वारा 4 करोड़ रुपए का कार्य

आदिवासी समाज का मनोबल बढ़ाने और आर्थिक गतिविधियों में उनका महत्वपूर्ण योगदान दर्ज करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लिए गए प्रमुख निर्णय इस प्रकार हैं -

पूर्व वर्षों में जबरिया प्रकरणों के माध्यम से जेल में बंद आदिवासियों की रिहाई|

निरस्त वन भूमि पट्‌टों की पुनः समीक्षा के माध्यम से न्याय।

सामुदायिक वन भूमि अधिकार के माध्यम से सैकड़ों एकड़ भूमि आबंटन।

लोहाण्डीगुड़ा में वृहत उद्योग के लिए ली गई किसानों की भूमि वापसी।

सुकमा, बीजापुर, कोण्डागांव जैसे स्थानों में फूड पॉर्क तथा प्रसंस्करण इकाईयों की पहल।

सुपोषण अभियान के माध्यम से बच्चों के कुपोषण मुक्ति और महिलाओं की एनीमिया मुक्तिकी पहल।

डी.एम.एफ. का उपयोग सुपोषण शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सामाजिक पुनर्वास के लिए करने हेतुनयी नीति।

मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना के माध्यम से दूरस्थ अंचलों के लोगों की पहुंच में स्वास्थ्य सेवाएं |

मलेरिया मुक्त बस्तर तथा गरीबी मुक्त दन्तेवाड़ा लोक अभियान |

आर्थिक मंदी और कोरोना संकट के दौर में भी छत्तीसगढ़ रोजगार देने के मामले में देश में अव्वल

सेन्ट्रल फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकॉनॉमी के प्रतिवेदन के अनुसार छत्तीसगढ़ में सितम्बर 2018 में बेरोजगारी की दर 22.2 प्रतिशत थी, जो अप्रैल 2020 में 3.4 प्रतिशत दर्ज की गई| यह विगत एक वर्ष में सर्वाधिक कमी भी है। इस प्रकार अप्रैल 2020 की स्थिति में देश में बेरोजगारी की दर 23.5 प्रतिशत थी जबकि छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी की दर मात्र 3.4 प्रतिशत रही| मनरेगा ग्रामीण अंचलों में रोजगार देने का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है। मनरेगा के माध्यम से छत्तीसगढ़ में प्रतिदिन औसतन 20 लाख लोगों को रोजगार दिया जा रहा है जो देशभर में मनरेगा कार्यों में लगे कुल मजदूरों का 24 प्रतिशत है। 19 मई 2020 की स्थिति में प्रदेश की कुल 11 हजार 622 ग्राम पंचायतों में से 9 हजार 350 ग्राम पंचायतों में 37 हजार 516 कार्य चल रहे हैं। प्रदेश में कुल जारी किए गए जॉब कार्डों की संख्या 39 लाख 12 हजार 250 है जिसमें से 32 लाख 80 हजार 666 सक्रिय जॉब कार्ड हैं। एम.आई.एस. रिपोर्टों के अनुसार प्रदेश में इस वक्‍त मनरेगा के तहत काम कर रहे मजदूरों की संख्या 21 लाख 25 हजार 739 है। कोरोना लॉकडाउन अवधि में प्रदेश में मनरेगा मजदूरों को 548.41 करोड़ रुपए मजदूरी का भुगतान किया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार की अभिनव पहल सुराजी ग्राम योजना के अन्तर्गत “नरवा, गरवा, घुरवा, बारी” के संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य किया जा रहा है। जिससे प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार तथा ग्रामीण आय के साधनों का विकास हो रहा है।

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