केंद्र सरकार ने पेंशन के नियमों में कुछ बदलाव किए हैं। यह बदलाव परिवार के सदस्यों द्वारा ही पेंशनधारक को जान से मार कर अपने नाम पर पेंशन पाने की साजिश पर किया गया है। 1972 वाले नियम के अंतर्गत इस तरह के मामले सामने आने पर फैमिली पेंशन को सरकार सस्पेंड कर देती थी । 1972 से प्रभावी इस नियम को बदलने में केंद्र सरकार को लगभग 50 साल लग गए।
पहले इस तरह के मामले आने पर आरोपी को सभी आरोपों से बरी होने के बाद पुराने एरियर के साथ पेंशन का लाभ मिलता था। देश की धीमी न्याय व्यवस्था को देखते हुए परिजनों को वित्तीय संकट से जूझना पड़ता था।
इससे सम्बन्धित नए नियम मे कई बदलाव किए गए हैं। अब नये नियम के तहत इस तरह के मामलों में परिवार को मिलने वाला पेंशन सस्पेंड नहीं किया जाएगा। अरोपी के बाद परिवार के अगले योग्य सदस्य के नाम पर पेंशन की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। इसमें मृत पेंशनधारक के बच्चे या उनके माता/पिता भी हो सकते हैं।
नए आदेश में यह कहा गया
16 जून को सरकार ने यह नियम लागू किया है। नये आदेश में कहा गया है कि कानूनी मामलों के विभाग से विचार-विमर्श के बाद इस प्रावधान की समीक्षा की गयी है।
कार्मिक मंत्रालय ने इस आदेश को जारी किया है जिसके मुताबिक कानूनी कार्रवाई के दौरान परिवार के उन सदस्यों को पेंशन देने से मना करना जायज नहीं है, जिनपर कोई आरोप नहीं लगा है।
कानूनी प्रक्रिया के तहत मामले पर अंतिम निर्णय में लंबा समय लग सकता है और मृत पेंशनधारक के परिवार के लिए फैमिली पेंशन के बिना वित्तीय चुनौती से गुजरना पड़ सकता है।
योग्य नाबालिग सदस्य होने पर क्या होगा?
वहीं अगर मृत पेंशनधारक के पति या पत्नी पर आरोप लगा है तो और परिवार का अगला योग्य सदस्य नाबालिग है तो अभिभावक के जरिए उस नाबालिग के नाम पर पेंशन जारी करने का प्रावधान होगा। इस केस में भी आरोपी माता या पिता नाबालिग के अभिभावक के तौर पर नहीं नियुक्त किए जा सकते हैं।
नये नियम के तहत अगर आरोपी व्यक्ति को कानूनी फैसले में बरी कर दिया जाता है तो बरी होने की तारीख से उन्हें फैमिली पेंशन का भुगतान किया जाएगा।इसके साथ ही उस तारीख से परिवार के दूसरे सदस्य के नाम पर चल रहे पेंशन को बंद कर दिया जाएगा।