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सात साल पहले की फोटो ट्वीट करने पर पूर्व आईएएस के खिलाफ मामला दर्ज

By भाषा | Updated: May 15, 2021 18:26 IST

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उन्नाव (उप्र) 15 मई सात साल पहले की शवों की फोटो ट्वीट कर लोगो के मन में भ्रम फैलाने के आरोप में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सूर्यप्रताप सिंह के खिलाफ यहां कोतवाली में एक मामला दर्ज किया गया है । एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्नाव कोतवाली के थाना प्रभारी दिनेशचंद्र मिश्र ने बताया कि सिंह के खिलाफ जिले के संभ्रात नागरिको की शिकायत पर 13 मई को मामला दर्ज किया गया ।

मिश्र की ओर से दर्ज कराई गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि शहर के कई संभ्रात नागरिकों द्वारा बताया गया कि सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश काडर के सेवानिवृत्त आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने एक ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है कि 67 शवों को सरकार ने गंगा तट पर जेसीबी से गड्ढा खोदकर दफन करा दिया है। इसमें राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज के तरीके पर भी प्रश्न उठाये गये थे।

मिश्र ने प्राथमिकी में कहा है कि इस ट्वीट से जिले का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। इसमें कहा गया कि जांच में ट्विट भ्रामक भी निकला है तथा पूर्व आईएसएस द्वारा पुरानी फोटो को बलिया जिले में हाल में पायें गये शवों की खबर के साथ जोड़ा गया है।

इंस्पेक्टर मिश्र ने बताया कि सूचना मिलने पर सोशल मीडिया प्रकोष्ठ, उन्नाव से संपर्क किया गया। मीडिया प्रकोष्ठ ने बताया कि सोशल मीडिया में चल रहे सूर्यप्रताप सिंह के ट्वीट तथा उनसे सम्बन्धित फोटोग्राफ को 13 जनवरी 2014 के हैं, जिसमें 100 शव गंगा नदी में बहते हुए दिखाए गए थे।

उन्‍होने बताया कि प्राप्त अभिलेखीय सूचना के अनुसार सूर्यप्रताप सिंह ने जनमानस में भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से सात वर्ष पुराने फोटो को कूटरचना के द्वारा बलिया जिले की खबर के साथ जोड़कर तैयार किया है। इससे जनपद उन्नाव के विभिन्न समुदायों के बीच तनाव तथा वैमनस्यता में वृद्धि हो रही है।

पुलिस अधिकारी ने कहा कि कोरोना महामारी के बीच एक सेवा निवृत्त प्रशासनिक अधिकारी द्वारा इस प्रकार जानबूझकर सोशल मीडिया में ट्वीट करके अफवाह फैलाने के कारण कोरोना मरीजों में भय व दहशत का माहौल व्याप्‍त हुआ है तथा विभिन्न समुदायों के बीच ईर्ष्या, दुर्भावना तथा कलुषित भाव फैला है।

मिश्रा ने बताया कि सूर्यप्रताप सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के अलावा उप्र लोक स्वास्थ्य एवं महामारी रोग निवारण अध्यादेश 2020 की धारा 21, आपदा प्रबंधन कानून की धारा 54 तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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