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कोविड-19 प्रोटोकॉल उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ असम के डीजीपी की टिप्पणी बचकानी: कानूनी विशेषज्ञ

By भाषा | Updated: May 13, 2021 20:14 IST

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गुवाहाटी, 13 मई असम के विधि विशेषज्ञों ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड​​-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करना संभव नहीं है जिसकी धमकी राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने दी है।

गौहाटी उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने डीजीपी भास्कर ज्योति महंत की टिप्पणी को ‘‘बचकानी, कानून का खराब ज्ञान और दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया, लेकिन साथ ही कहा कि शीर्ष पुलिस अधिकारी ने शायद ये बात लोगों को पाबंदियों का पालन करने के लिए मजबूर करने के लिए कही थी।

महंत ने बुधवार को कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के लिए नयी पाबंदियां जारी करते हुए कहा था, ‘‘अगर कोई किसी जगह पर चुपके से किसी समारोह का आयोजन करता है और लोगों को आमंत्रित करता है, तो यह समाज और देश के साथ विश्वासघात माना जाएगा।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘हम केवल आपदा प्रबंधन अधिनियम, धारा 144 या सामान्य आईपीसी के तहत मामला दर्ज नहीं करेंगे, बल्कि हम हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज करेंगे, भले ही वह कोई बड़ा व्यक्ति ही क्यों न हो।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता अंगशुमान बोरा ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘यह खराब कानूनी ज्ञान के साथ दिया गया एक बयान है। यह उनके जैसे पद पर बैठे किसी व्यक्ति के लिए एक बचकानी टिप्पणी है। हत्या के प्रयास को आईपीसी की धारा 307 में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और उनका बयान इससे ऊपर नहीं हो सकता।’’

आईपीसी की धारा 307 हत्या के प्रयास से संबंधित है, जिसे हत्या के इरादे से किए गए कृत्य के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिससे मौत होती है या गंभीर चोट लगती है। इस प्रावधान के तहत अधिकतम मौत की सजा भी हो सकती है।

बोरा ने कहा, ‘‘कोविड-19 मानक संचालन प्रक्रिया का गैर-अनुपालन केवल प्रख्यापित आदेश का उल्लंघन है, जिससे आपदा प्रबंधन अधिनियम और आईपीसी की धारा 188 के तहत निपटा जा सकता है। इनका पालन करने की प्रक्रिया दंड प्रक्रिया संहिता में है।’’

वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि प्रख्यापित आदेशों के किसी भी उल्लंघन के लिए मामला भी दायर नहीं किया जा सकता बल्कि केवल अदालत में शिकायत दायर की जा सकती है।

बोरा ने डीजीपी की टिप्पणी पर कहा, ‘‘अदालत में ऐसा कोई भी मामला नहीं चलेगा।’’

असम सरकार ने बुधवार को शहरों और कस्बों में बढ़ते कोविड-19 मामलों को काबू में करने के लिए बृहस्पतिवार से शहरी और अर्ध शहरी क्षेत्रों में 15 दिनों के लिए सभी कार्यालयों, धार्मिक स्थानों और साप्ताहिक बाजारों को बंद करने का आदेश दिया।

गौहाटी उच्च न्यायालय की वकील राखी सिरुथिया चौधरी ने शीर्ष पुलिस अधिकारी की टिप्पणी को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘शायद इसे एसओपी का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आम जनता के मन में डर पैदा करने के विचार से दिया गया।’’

गौहाटी उच्च न्यायालय के अधिवक्ता एवं भाजपा के सदस्य बिजोन महाजन ने कहा कि व्यक्ति चाहे किसी भी पद पर हो, देश का कानून सभी पर लागू होता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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