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वायुसेना ने पाकिस्तान सीमा के पास तैनात किए सुखोई 30-एमकेआई लड़ाकू विमान, मिग-21 को हटाया गया

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: November 01, 2023 6:23 PM

बाड़मेर वायु सेना स्टेशन पर सुखोई 30-एमकेआई को तैनात करने महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से पाकिस्तान की सीमा बेहद नजदीक है। सुखोई 30-एमकेआई भारत के सबसे उन्नत विमानों में से हैं और इनसे परमाणु हमले में सक्षम मिसाइल और सुपरसोनिक ब्रह्मेस भी दागी जा सकती है।

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ठळक मुद्दे उत्तरलाई (बाड़मेर) पर सुखोई 30-एमकेआई लड़ाकू विमान तैनात किए "ओरियल्स" के रूप में जाने जाने वाले नंबर 4 स्क्वाड्रन बेस पर पहले मिग 21 विमान तैनात थे यहां से पाकिस्तान की सीमा बेहद नजदीक है

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना ने राजस्थान के एयरबेस उत्तरलाई (बाड़मेर) पर सुखोई 30-एमकेआई लड़ाकू विमान तैनात किए हैं।  भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के "ओरियल्स" के रूप में जाने जाने वाले नंबर 4 स्क्वाड्रन बेस पर पहले मिग 21 विमान तैनात थे जिन्हें अब सुनियोजित ढंग से सेवा से हटाया जा रहा है। इस अग्रिम वायु सेना स्टेशन पर  सुखोई 30-एमकेआई को तैनात करने महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से पाकिस्तान की सीमा बेहद नजदीक है। सुखोई 30-एमकेआई भारत के सबसे उन्नत विमानों में से हैं और इनसे परमाणु हमले में सक्षम मिसाइल और सुपरसोनिक ब्रह्मेस भी दागी जा सकती है।

 इस एयरबेस पर 1966 से मिग-21 का संचालन किया जा रहा था। मिग-21 भारतीय वायुसेना की सेवा में पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था और इसे 1963 में शामिल किया गया था और तब से इसने सभी प्रमुख संघर्षों में भाग लिया है। हालांकि समय के साथ ये विमान पुराने पड़ते जा रहे थे और कई बार अपग्रेड करने के बाद भी अन्य विमानों से पीछे होते जा रहे थे। साथ ही मिग विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने का भी एक काला इतिहास है जिसमें सैकड़ों पायलटों ने अपनी जान गंवाई है।

यही कारण है कि  2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी। उन्होंने बताया मिग-21 लड़ाकू विमानों की जगह भारत के स्वदेशी विमान तेजस लेंगे। 2025 तक मिग-21 के स्कवाड्रन को  एलसीए मार्क 1ए से बदल दिया जाएगा। 

सैन्य रणनीतिकारों का मानना है कि भविष्य में भारत को दोहरे मोर्चे पर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वायुसेना को पास आधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों का बड़ा बेड़ा हो। यही कारण है कि भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बड़ा और घातक बनाने में भी जुटी है।

वायुसेना पहले ही 83 LCA मार्क-1A एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दे चुकी है। LCA मार्क-1A तेजस विमान का एडवांस वर्जन है। इस फाइटर प्लेन में अपग्रेडेड एवियोनिक्स और रडार सिस्टम लगे हुए हैं। आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के पास तेजस विमानों की एक बड़ी स्कवाड्रन होगी। अगर सब कुछ योजना अनुसार चला तो अगले 15 वर्षों में भारतीय वायुसेना के पास 40 एलसीए, 180 से ज्यादा एलसीए मार्क-1A और 120 एलसीए मार्क-2 फाइटर प्लेन होंगे। वायुसेना ने पहले जिन 83 LCA मार्क-1A का आॉर्डर दिया था उनकी डिलीवरी साल 2024 में हो सकती है।

टॅग्स :इंडियन एयर फोर्सSukhoiपाकिस्तानराजस्थानDefense
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