वायुसेना को जुलाई में मिल सकता है पहला तेजस Mk-1A जेट, मार्च 2025 तक 18 विमान सौंपने के निर्देश

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: May 17, 2024 05:47 PM2024-05-17T17:47:01+5:302024-05-17T17:48:32+5:30

भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में पाकिस्तान और चीन से दो मोर्चों के खतरे से निपटने के लिए लड़ाकू विमानों की जरूरत है। भारतीय वायुसेना में नियमतः 42 स्क्वाड्रन होने चाहिए जिसमें प्रत्योक में 18 विमान होते हैं। लेकिन वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन से ही वायुसेना काम चला रही है।

HAL will deliver first Tejas Mk-1A fighter jet to Indian Air Force in July 2024 | वायुसेना को जुलाई में मिल सकता है पहला तेजस Mk-1A जेट, मार्च 2025 तक 18 विमान सौंपने के निर्देश

तेजस एक भारत-निर्मित बहुउद्देश्यीय हल्का लड़ाकू जेट है

Highlightsभारतीय वायु सेना (आईएएफ) जिस लड़ाकू विमान का बेसब्री से इंतजार कर रही हैएचएएल जुलाई 2024 में वायुसेना को पहला तेजस एमके-1ए लड़ाकू जेट सौंपेगारक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने एचएएल को मार्च 2025 तक 18 तेजस जेट वितरित करने का निर्देश दिया है

Tejas Mk-1A Fighter Jet: भारतीय वायु सेना (आईएएफ) जिस लड़ाकू विमान का बेसब्री से इंतजार कर रही है वह उसे जुलाई में मिल सकता है।  हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जुलाई 2024 में वायुसेना को पहला तेजस एमके-1ए लड़ाकू जेट सौंपेगा। यह एक भारत-निर्मित बहुउद्देश्यीय हल्का लड़ाकू जेट है। दो महीने पहले मार्च 2024 में तेजस एमके-1ए ने अपनी पहली उड़ान भरी थी। पहला जेट मार्च में ही भारतीय वायुसेना को दिया जाना था लेकिन कुछ कारणों से  इसकी डिलीवरी में देरी हुई।

IAF के लिए 83 तेजस Mk-1A जेट की आपूर्ति के लिए 2021 में 48,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। तेजस एमके-1ए पुराने तेजस एमके-1 का उन्नत संस्करण है। इसमें नया रडार,  नया डिजिटल कंप्यूटर, बेहतर एवियोनिक्स और अधिक सक्षम हथियार लगाए गए हैं। 

IAF करीब 67,000 करोड़ रुपये की कीमत के 97 और तेजस Mk-1A फाइटर जेट खरीदना चाह रही है।  भारत सरकार ने वायुसेना का निवेदन भी मान लिया है औऱ यह ऑर्डर दिया जा सकता है। एचएएल फिलहाल अपने बेंगलुरु प्लांट से सालाना 16 फाइटर जेट्स का निर्माण कर सकता था। अब अतिरिक्त ऑर्डर पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाना होगा। ज्यादा विमान बनाए जा सकें इसलिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने नासिक में एक और प्रोडक्शन लाइन शुरू की है। यहां  सालाना आठ अतिरिक्त जेट का निर्माण किया जा सकता है। इस तरह कुल उत्पादन क्षमता 24 जेट हो जाएगी।

इस बीच ये रिपोर्ट भी आई है कि रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने एचएएल को मार्च 2025 तक 18 तेजस जेट वितरित करने का निर्देश दिया है। वहीं भारतीय वायु सेना ने एचएएल को कहा है कि भले ही कुछ और समय लग जाए लेकिन लेकिन पूरी तरह से तैयार और हथियारों से लैस विमान की ही डिलीवरी की जाए।

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) पहले से ही अनिवार्य संख्या से कम लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन के साथ काम कर रही है। एचएएल द्वारा अगले 10 वर्षों में दो चरणों में 180 तेजस मार्क-1ए जेट बनाए जाने हैं।  वायुसेना के पुराने पड़ चुके विमानों को इन आधुनिक स्वदेशी विमानों से बदला जाएगा। इसी अप्रैल में क्षा मंत्रालय ने एचएएल को पहले से ऑर्डर किए गए 83 के अलावा 97 तेजस मार्क-1ए जेट के उत्पादन के लिए अपनी व्यावसायिक बोली जमा करने के लिए कहा था। इस तरह कुल 180 तेजस मार्क-1ए जेट भारतीय वायु सेना में शामिल होंगे। तेजस के पहले वर्जन के 40 जेट पहले ही एयर फोर्स में शामिल किए जा चुके हैं। 

भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में पाकिस्तान और चीन से दो मोर्चों के खतरे से निपटने के लिए लड़ाकू विमानों की जरूरत है। भारतीय वायुसेना में नियमतः 42  स्क्वाड्रन होने चाहिए जिसमें प्रत्योक में 18 विमान होते हैं। लेकिन वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन से ही वायुसेना काम चला रही है। अगले एक साल में सोवियत काल के मिग 21 लड़ाकू विमानों के सभी (दो) स्क्वाड्रन सेवानिवृत्त हो जाएंगे। जगुआर, मिग-29 और मिराज 2000 जेट बेड़े के भी 2029-30 तक सेवानिवृत्त होने की उम्मीद है। इन चार प्रकार के जेटों की संख्या लगभग 250 है। ये पहले से ही अपग्रेड करने के बाद इस्तेमाल किए जा रहे हैं। योजना के अनुसार इस वित्तीय वर्ष से शुरू होकर अगले 14-15 वर्षों (2038-39 तक) भारतीय वायुसेना के लिए लगभग 390 लड़ाकू जेट का स्वदेशी उत्पादन करने की आवश्यकता है।

Web Title: HAL will deliver first Tejas Mk-1A fighter jet to Indian Air Force in July 2024

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