इस चुनाव के परिणामों ने उन सब हुनरबंदों के चेहरों का रंग उड़ा दिया है, जो चुनाव विश्लेषक, चुनावी सर्वेक्षणों के विशेषज्ञ और जमीनी पत्रकार होने का दंभ भरते थे. मध्य प्रदेश में ज्यादातर एग्जिट पोल कांग्रेस की 140 सीटें बता रहे थे, लेकिन उसे भाजपा से बड
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भारत पिछले कुछ सालों से सीमापार से आ रहे आतंक का सामना कर रहा है. इस दौरान आतंक ने दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. 1996 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सहमति (सीसीआईटी) का प्रस्ताव रखा था.
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तेलंगाना और मिजोरम में तो भाजपा किसी बड़े चमत्कारिक प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर रही थी. अलबत्ता मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से उसे बड़ी आस थी. राजस्थान का किला तो ढहना ही था. दो राज्यों में प्रचार के अंतिम दिनों में उसने पराजय का अंतर यकीनन कम किया मगर छ
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विधानसभा चुनाव में मतदान कई कारकों पर निर्भर करता है जिसमें शीर्ष नेता एक कारक हो सकता है, संपूर्ण नहीं. वैसे भी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान - जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ज्यादातर सीटों पर सीधा मुकाबला था वहां मुख्यमंत्नी पहले से मौजूद थे इस
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स्वतंत्नता-प्राप्ति के सात दशक बाद इस तरह की स्थिति जनतंत्न में विश्वास करने वालों के लिए चिंता की बात होनी चाहिए . नागरिकों की सतत जागरूकता जनतंत्न की सफलता की सबसे महत्वपूर्ण शर्त है. जागृत जनमत का मतलब जनता को अपनी मुट्ठी में समझने वाले नेताओं को
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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम तथा तेलंगाना विधानसभाओं के चुनावों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनकी सरकार की लोकप्रियता एवं बतौर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व की अग्निपरीक्षा समझा जा रहा था. केंद्र में बहुमत हासिल करने का रास्
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तीनों राज्यों में औद्योगिक विकास ठप पड़ा है. तीनों राज्यों में खनिज संसाधनों की लूट चरम पर है. मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तो संघ के स्वयंसेवकों की टोलियों का कब्जा सरकारी संस्थानों से लेकर सिस्टम के हर पुर्जे पर है.
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भारत के हृदय-क्षेत्न मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजे कांग्रेस के लंबे सूखे से पैदा हुए रेगिस्तान में किसी नखलिस्तान की तरह हैं. जनता ने यह संदेश दिया है कि जन-भावनाओं को समझने में अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी एक कदम बढ़े तो जनता अगले
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भारत में राष्ट्रीय पशु के संरक्षण के लिए सरकार ने वर्ष 1973 में टाइगर परियोजना लॉन्च की थी. 2014 के आंकड़ों के अनुसार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्नालय की वेबसाइट के मुताबिक भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा 2,226 बाघ हैं.
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