एम. वेंकैया नायडू का ब्लॉगः हमारे जवानों की शहादत नहीं जाएगी बेकार

By एम वेंकैया नायडू | Published: December 13, 2018 05:41 AM2018-12-13T05:41:35+5:302018-12-13T05:41:35+5:30

भारत पिछले कुछ सालों से सीमापार से आ रहे आतंक का सामना कर रहा है. इस दौरान आतंक ने दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. 1996 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सहमति (सीसीआईटी) का प्रस्ताव रखा था.

martyrdom of our soldiers will not be useless says m venkaiah naidu | एम. वेंकैया नायडू का ब्लॉगः हमारे जवानों की शहादत नहीं जाएगी बेकार

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हमारी संसद पर 17 साल पहले हुए आतंकी हमले में हमारे सुरक्षाकर्मियों व अन्य लोगों की शहादत की वर्षगांठ पर हमें न केवल अपनी मातृभूमि के हर इलाके को सुरक्षित बनाने के संकल्प को मजबूत करना होगा, बल्कि हमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते आतंक के दानव के खिलाफ राजनयिक जंग को भी जारी रखना होगा. हमारी संसद पर हमला दरअसल लोगों की आकांक्षाओं के प्रतीक और लोकतंत्र के मंदिर पर हमला था. हमें मानवता पर मंडराते इस खतरे के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने होंगे. सांसदों और संसद की रक्षा के लिए हमारे सुरक्षा बलों ने जिस तरह से शहादत दी उसकी प्रशंसा शब्दों में मुमकिन नहीं है. केवल 18 दिन पहले ही हमने मुंबई आतंकी हमले (26/11) में शहीद 166 लोगों को भी श्रद्धांजलि दी थी. यह हमारे जनमानस के दिलोदिमाग पर मौजूद एक घाव है.

भारत पिछले कुछ सालों से सीमापार से आ रहे आतंक का सामना कर रहा है. इस दौरान आतंक ने दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. 1996 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र के समक्ष अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ व्यापक सहमति (सीसीआईटी) का प्रस्ताव रखा था. दुर्भाग्य से यह आज भी केवल मसौदे के रूप में ही मौजूद है. संयुक्त राष्ट्र के इस मसले पर कोई स्पष्ट रुख अख्तियार करने की राह में रुकावटें दुख का विषय हैं.

दुनिया के सभी देशों को सुरक्षा की ताजा स्थिति और लगातार बढ़ती हिंसा पर मुखरता के साथ विचार व्यक्त करना चाहिए. आतंकवाद किसी भी रूप में न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता. एक आतंकी केवल आतंकी है और उसे लेकर अच्छे या बुरे आतंकवाद की बात नहीं की जा सकती. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘दुनिया की मानवतावादी ताकतों को दबाव बनाना ही होगा, ताकि आतंकवाद को स्पष्टता के साथ परिभाषित किया जा सके.’’ 

मुझे उम्मीद है कि सीसीआईटी पर जल्द सहमति बनेगी. भारतीय संसद और मुंबई पर हुए दानवी आतंकी हमलों ने भारतीय जनमानस को उद्वेलित किया है. इससे सभी तरह की विभाजनकारी, बाधक और विनाशकारी ताकतों के खिलाफ जंग का हमारा संकल्प और अधिक दृढ़ हो गया है. सीमापार से रची गई आतंक की साजिश के पर्दाफाश में मुंबई पुलिस और एनआईए ने उल्लेखनीय काम किया है. 

सरकारी वकील उज्‍जवल निकम के कानूनी कौशल और दृढ़ तर्को के साथ पुख्ता सबूतों ने मुख्य षड्यंत्रकारियों में से एक को सजा तक दिलाई. हम आतंक के अपराध की अनदेखी नहीं कर सकते. इस अप्रिय वास्तविकता को लेकर दुनिया को जागकर, तत्काल मिलकर उसका तोड़ निकालना होगा. घरेलू स्तर पर हमें सुरक्षा तंत्र को और अधिक चौकस बनाना होगा, जिसमें समुद्री और तटीय सुरक्षा भी शामिल हो. 

इंसानी जिंदगी और मानवीय अधिकारों के प्रति जरा भी सम्मान नहीं रखने वाले विषैले दिमाग वाले चंद लोग दुनिया को बंधक नहीं बना सकते. यह बहुत बड़ी विडंबना है कि कुछ लोग (भारतीय संदर्भ में) मानवाधिकारों का ढोल पीटते हुए आतंकियों का पक्ष ले रहे हैं. हमें एक देश के तौर पर एकजुट होकर खड़ा होना होगा और दुनिया के हर देश को ऐसा ही करना होगा. जरूरत पड़े तो आतंक से जंग के लिए तैयार रहना चाहिए. 

आज की दुनिया में सतत निगरानी बेहद आवश्यक है. हम हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठ सकते. दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हमारा देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. ऐसे में हम अपनी ऊर्जा और संसाधनों को ऐसी बातों पर व्यर्थ नहीं गंवा सकते जिनका विकास से कोई ताल्लुक न हो. भारत और दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों में नागरिकों का एक बड़ा हिस्सा गरीबी में जीवनयापन कर रहा है. निरक्षरता, लिंगभेद और बीमारियों का बोझ भी चिंता का विषय है. अंत में कुछ शब्द हमारे सुरक्षा बलों के लिए. 17 वर्ष पहले इसी दिन छह सुरक्षाकर्मियों ने शहादत दी थी.

 ऐसी अनेक आतंकी गतिविधियां हैं जिन्होंने लोगों की जान ली है. बेहद मुश्किल हालातों और दुष्कर इलाकों में मौजूद हमारे बहादुर सैनिक, जनता और जनसंपत्ति के रखवाले हमारे पुलिसकर्मी, हमलावरों, आतंकियों, उग्रवादियों और असामाजिक तत्वों से दो-दो हाथ करते हमारे अर्धसैनिक बल, सभी प्रशंसा के पात्र हैं. 

देश और हमारे जान-माल की सुरक्षा को लेकर नि:स्वार्थ भाव से उनका कर्तव्य निर्वहन और समर्पण का भाव सबको प्रेरणा देता है. हमारी विकास यात्र में उनके अहम योगदान को हमें हमेशा याद रखना चाहिए.हमारे बहादुर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के इस पवित्र मौके पर हमें आगामी चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा. आतंक जैसी नकारात्मक शक्तियों  पर मात देते हुए आइए स्पष्ट सोच और दृढ़ संकल्प के साथ हम विकास और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ें. जनकल्याण और सौहाद्र्रपूर्ण दुनिया के हमारे आदर्श लक्ष्यों को पाने के लिए हमें अनवरत प्रयास करने होंगे.

Web Title: martyrdom of our soldiers will not be useless says m venkaiah naidu

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