कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संपूर्ण चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ‘चौकीदार चोर है’ का नारा जमकर बुलंद किया. हो सकता है कि कहीं-कहीं इसे पसंद भी किया गया हो लेकिन इस नारे ने फायदे के बजाय नुकसान अधिक पहुंचाया.
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बुरहान वानी के बाद घाटी में जाकिर मूसा उससे भी बड़ा आतंकवादी आइकॉन बन चुका था. वह पहले बुरहान वानी के साथ हिजबुल मुजाहिदीन में उसके सहयोगी के रूप में सक्रिय था. 11 जुलाई 2016 को बुरहान के मारे जाने के बाद वह आतंकवाद का पोस्टरब्वॉय बना और धीरे-धीरे मॉ
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बिहार में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करते ही मुख्यमंत्नी नीतीश कुमार ने राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था जिस वजह से शराब से होने वाली मौतों व घरों में रोजाना होने वाले लड़ाई-झगड़ों में बड़े स्तर पर गिरावट आई थी. इसी तर्ज पर पूरे देश
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मोदी के इस वक्तव्य कि ‘आपका प्रत्येक मत सीधे मुझे मिलेगा’ ने इस बात को निर्थक बना दिया कि उम्मीदवार अनुभवी है, आरोपी है, नया-नवेला है, योग्य है या अयोग्य है. चुनाव प्रचार की इस पद्धति का विपक्ष मुकाबला नहीं कर पाया.
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2002 में ही गोवा में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. ऐसा तय माना जा रहा था कि आज नरेन्द्र मोदी को सीएम पद से इस्तीफे का ऑफर करना पड़ सकता है. लेकिन अरुण जेटली और प्रमोद महाजन की जुगलबंदी ने गोवा कार्यकारिणी में माहौल नरेन्द्र मोदी के पक्ष मे
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सबसे पहले कर्नाटक में कांग्रेस-जनता दल (एस) के गठजोड़ पर गौर करें. अगर कागज पर देखें तो इन दोनों पार्टियों के वोटों को जोड़ देने से भाजपा का सूपड़ा साफ हो जाना चाहिए था. लेकिन, हुआ उल्टा. क्यों? दरअसल, ये दोनों पार्टियां आपस में मिल कर भाजपा से लड़ने
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उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा महिलाएं जीती हैं. जबकि आठ ऐसे राज्य भी हैं, जहां से एक भी महिला चुनाव नहीं जीती है. इस बार कुल 724 महिलाएं मैदान में थीं, लेकिन 78 ही जीत पाईं. संसद में अब महिलाओं का प्रतिशत पहले की तुलना में कुछ बढ़ गया ह
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लोगों ने वोट पार्टी की नीतियों के नाम पर नहीं बल्कि नेतृत्व के आभामंडल को देखते हुए दिया है. वे न केवल जाति और क्षेत्रीयता के विचार से ऊपर उठे, बल्कि अपने शब्दों और कार्यो से भी ऊपर उठ गए.
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सरकार की नई पारी विश्रम का अवसर नहीं बल्कि गहनता से पुन: सन्नद्ध होने के लिए जनता की पुकार है ताकि आमजनों का सही अर्थो में जीवन-स्तर सुधर सके. इसके लिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपेक्षित होगा जिसमें बिना भेद-भाव के समाज के सभी वर्ग शामिल हों.
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