प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: संसद में महिलाओं की भागीदारी

By प्रमोद भार्गव | Published: May 29, 2019 05:32 AM2019-05-29T05:32:32+5:302019-05-29T05:32:32+5:30

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा महिलाएं जीती हैं. जबकि आठ ऐसे राज्य भी हैं, जहां से एक भी महिला चुनाव नहीं जीती है. इस बार कुल 724 महिलाएं मैदान में थीं, लेकिन 78 ही जीत पाईं. संसद में अब महिलाओं का प्रतिशत पहले की तुलना में कुछ बढ़ गया है.

Pramod Bhargava Blog: Women participation in Parliament | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: संसद में महिलाओं की भागीदारी

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है।

देश की संसद में महिलाओं की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है. सत्रहवीं लोकसभा में चुनाव जीत कर आईं 78 महिलाएं अपने संसदीय क्षेत्र का नेतृत्व करेंगी. महिला सशक्तिकरण की यह एक मिसाल है. 16वीं लोकसभा में 66 महिलाएं सांसद थीं. इस बार इनकी बढ़ी आमद का श्रेय बीजू जनता दल और तृणमूल कांग्रेस को जाता है. इन दोनों दलों ने 41 और 33 प्रतिशत महिलाओं को पार्टी स्तर पर टिकट दिए.

ओडिशा में लोकसभा की कुल 21 सीटें हैं, इनमें सात महिलाएं निर्वाचित हुई हैं. इनमें भी पांच बीजेडी की और दो भाजपा की हैं. बीजेडी की चंद्राणी मुमरू जीत कर आईं सबसे कम उम्र की महिला हैं. इस आदिवासी महिला सांसद की उम्र 25 साल है और वे इंजीनियर हैं.

पश्चिम बंगाल से तृणमूल की 9 और भाजपा की तीन महिलाएं सांसद चुनी गई हैं. कांग्रेस ने 54 महिलाओं को टिकट दिए थे, लेकिन महज एक सोनिया गांधी जीत दर्ज कर पाई हैं. भाजपा ने 53 महिलाएं चुनावी समर में उतारी थीं, इनमें से 34 सांसद चुनी गई हैं.

वाईएसआर कांग्रेस की चार महिलाएं सांसद बनी हैं. मध्यप्रदेश से भी चार महिलाओं ने संसद में आमद दर्ज कराई है. इनमें भोपाल से दिग्विजय सिंह को हराने वाली प्रज्ञा ठाकुर भी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा महिलाएं जीती हैं. जबकि आठ ऐसे राज्य भी हैं, जहां से एक भी महिला चुनाव नहीं जीती है. इस बार कुल 724 महिलाएं मैदान में थीं, लेकिन 78 ही जीत पाईं. संसद में अब महिलाओं का प्रतिशत पहले की तुलना में कुछ बढ़ गया है.

लोकसभा और विधानसभा में 33 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देने की बात तो सभी राजनीतिक दल करते हैं, किंतु अपने स्तर पर कोई पहल नहीं करते. अलबत्ता बीजू जनता दल के अध्यक्ष नवीन पटनायक एवं ममता बनर्जी ने जरूर सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में 33 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाओं को उम्मीदवार बनाए जाने की हिम्मत दिखाई, जिसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं.

हालांकि जिस महिला आरक्षण विधेयक के जरिए संसद में 33 प्रतिशत महिलाओं की आमद सुनिश्चित की जानी है, उसकी तुलना में अभी 103 महिलाएं कम हैं. यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो पंचायत चुनाव की तरह संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की सुविधा मिल जाएगी. फिलहाल यह विधेयक 9 मार्च 2010 में राज्यसभा से पारित होने के बाद ठंडे बस्ते में है. विधायिका में महिला आरक्षण के लिए 108वें संविधान संशोधन विधेयक का भी राज्यसभा में अनुमोदन हो चुका है. 

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