अवधेश कुमार का ब्लॉग: आतंकवाद के खिलाफ बहुत बड़ी सफलता
By अवधेश कुमार | Published: May 31, 2019 05:11 AM2019-05-31T05:11:17+5:302019-05-31T05:11:17+5:30
बुरहान वानी के बाद घाटी में जाकिर मूसा उससे भी बड़ा आतंकवादी आइकॉन बन चुका था. वह पहले बुरहान वानी के साथ हिजबुल मुजाहिदीन में उसके सहयोगी के रूप में सक्रिय था. 11 जुलाई 2016 को बुरहान के मारे जाने के बाद वह आतंकवाद का पोस्टरब्वॉय बना और धीरे-धीरे मॉडल और नारा बन गया.
चुनाव परिणामों के कारण जम्मू कश्मीर में जेहादी आतंकवाद के विरुद्ध सुरक्षाबलों की अति महत्वपूर्ण सफलता सुर्खियां नहीं बन सकी. वास्तव में पुलवामा में खूंखार आतंकवादी जाकिर मूसा का मारा जाना आतंकवाद विरोधी लड़ाई की ऐसी महत्वपूर्ण सफलता है जिसका असर दूरगामी होगा.
बुरहान वानी के बाद घाटी में जाकिर मूसा उससे भी बड़ा आतंकवादी आइकॉन बन चुका था. वह पहले बुरहान वानी के साथ हिजबुल मुजाहिदीन में उसके सहयोगी के रूप में सक्रिय था. 11 जुलाई 2016 को बुरहान के मारे जाने के बाद वह आतंकवाद का पोस्टरब्वॉय बना और धीरे-धीरे मॉडल और नारा बन गया.
उसके प्रभाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दो वर्षो में आतंकवादियों के जनाजे में जाकिर मूसा जिंदाबाद के नारे लगते थे. यहां तक कि बिजली-पानी की लड़ाई में भी जाकिर मूसा जिंदाबाद नारा लगता था. इसके पहले किसी आतंकवादी की यह हैसियत वहां नहीं थी.
बुरहान वानी का असर उसके मारे जाने के बाद कुछ समय तक रहा और उसके नारे भी लगते थे. जाकिर मूसा उससे काफी आगे निकल गया. उसके सिर पर 15 लाख का इनाम रखा जा चुका था. जेहाद के लिए आतंकवाद को कट्टरता के रूप में ग्लैमराइज करने में उसकी पिछले ढाई वर्षो में बहुत बड़ी भूमिका थी.
बुरहान के मारे जाने के बाद घाटी में जिस तरह की अशांति पैदा हुई ठीक वैसे ही हालात का खतरा इस समय बढ़ गया है. इसलिए सुरक्षा बलों ने उसकी मौत की खबर को काफी देर तक सार्वजनिक नहीं किया. हालांकि वह मारा गया है लेकिन उसने जो बीज बो दिया है वह अत्यंत खतरनाक है. वैसे ऑपरेशन ऑल आउट के तहत पिछले साल ही पहले बुरहान वानी गिरोह तथा उसके बाद जाकिर मूसा गिरोह को खत्म किया जा चुका था.
22 दिसंबर 2018 को सेना ने घोषणा की थी कि जाकिर मूसा गैंग का सफाया किया जा चुका है. उस दिन कश्मीर घाटी के त्नाल में छह आतंकवादी मारे गए थे. सब जाकिर मूसा गिरोह के सदस्य थे एवं स्थानीय थे. इनमें सोलिहा का स्थान जाकिर मूसा के बाद था. इसके बाद जाकिर मूसा बचा हुआ था.
मूसा को पंजाब के अमृतसर में देखे जाने की खबर आई थी और पंजाब पुलिस ने उसके पोस्टर जारी किए थे. बहरहाल, जाकिर मूसा के मारे जाने के बाद उसकी विचारधारा से प्रभावितों से लड़ने की चुनौती है. इस वर्ष अब तक 90 आतंकवादी मौत के घाट उतारे जा चुके हैं. उम्मीद करनी चाहिए कि सैन्य अभियानों द्वारा शेष बचे आतंकवादियों का भी सफाया होगा.