लाइव न्यूज़ :

डॉ. एस.एस. मंठा: शाहीन बाग होना चाहिए शालीन हल

By डॉ एसएस मंठा | Updated: March 2, 2020 12:45 IST

प्रदर्शन करने वाली महिलाओं का मानना है कि सीएए कानून से उनकी नागरिकता का अधिकार खतरे में पड़ गया है. जबकि संसद से बाकायदा मंजूर कानून के बारे में सरकार का कहना है कि इससे किसी की भी नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

Open in App

दक्षिण दिल्ली में यमुना नदी के किनारे स्थित मुस्लिम बहुत क्षेत्र शाहीन बाग इन दिनों चर्चा में है. पिछले लगभग ढाई माह से वहां महिलाएं रास्ते पर बैठकर अपनी मांगों के लिए धरना प्रदर्शन कर रही हैं. सवाल यह है कि इन महिलाओं का कोई अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल कर रहा है या वास्तव में वे अपने मुद्दों को लेकर गंभीर हैं? क्या वे ‘दक्षिणपंथी’ राजनीति का ‘गलत’ कारणों से विरोध कर रही हैं या योग्य कारणों से ‘वाम’ राजनीति का समर्थन कर रही हैं? इस संघर्ष में क्या किसी की विजय या पराजय होनी है? हालांकि सीएए कानून का वे शांतिपूर्ण ढंग से विरोध कर रही हैं, जिसके लिए प्रशंसा की पात्र हैं.

सीएए, एनपीआर और एनआरसी जैसे मुद्दों पर आंदोलन से महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी और महिलाओं की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय उपेक्षित हो गए हैं. 19 दिसंबर 2019 से इस प्रमुख मार्ग पर महिलाओं के धरने पर बैठने से जहां इस मार्ग से आवागमन करने वाले नागरिकों को परेशानी हो रही है वहीं प्रदर्शन करने वाली महिलाओं को भी भारी शारीरिक, मानसिक कष्ट ङोलना पड़ रहा है.

प्रदर्शन करने वाली महिलाओं का मानना है कि सीएए कानून से उनकी नागरिकता का अधिकार खतरे में पड़ गया है. जबकि संसद से बाकायदा मंजूर कानून के बारे में सरकार का कहना है कि इससे किसी की भी नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार यह बात स्पष्ट कर चुके हैं.

शाहीन बाग में जारी आंदोलन से यह सवाल भी उठ रहा है कि अपने अधिकारों के लिए किया जा रहा यह आंदोलन कहीं दूसरों के अधिकारों का हनन तो नहीं कर रहा? संविधान का सम्मान करने की मांग का फलक लेकर प्रदर्शन करने वाले कहीं खुद ही तो संविधान की अवहेलना नहीं कर रहे? क्या इस तरह के आंदोलन के लिए आवश्यक पुलिस की अनुमति आंदोलनकारियों ने ली है? आंदोलन में कितने लोग शामिल होंगे क्या उन्होंने यह स्पष्ट किया था?  आंदोलन में शामिल होने वाली महिलाओं के साथ छोटे बच्चों के आने का मुद्दा भी उठा है, क्योंकि एक बच्चे की ठंड से मौत हो चुकी है और अदालत तक ने इसका संज्ञान लिया है.

शाहीन बाग आंदोलन से ऐसे अनेक प्रश्न उठे हैं. अदालत में भी यह मामला चल रहा है. इसलिए उचित यही लगता है कि आंदोलनकारी आंदोलन समाप्ति का कोई रास्ता निकालें.

टॅग्स :शाहीन बाग़ प्रोटेस्टकैब प्रोटेस्टनागरिकता संशोधन कानून
Open in App

संबंधित खबरें

भारतHindu Refugee On Pakistan: 'पाकिस्तान में मुसलमान हिंदू लड़कियों को उठाते हैं और धर्म परिवर्तन कराते हैं', नागरिकता मिलने पर बोली हिंदू शरणार्थी भावना

भारतवीडियो: पीओके के मुसलमानों को भारतीय नागरिकता के सवाल पर क्या बोले गृह मंत्री अमित शाह? देखिए

भारतब्लॉग: नागरिकता संशोधन अधिनियम पर कब तक रहेगा असमंजस, पारित हुए गुजर चुके हैं तीन साल!

भारतशाहीन बाग अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, दिल्ली हाई कोर्ट जाने के दिए निर्देश

भारतनागरिकता न मिलने के कारण 800 पाकिस्तानी हिंदू वापस लौट गए: रिपोर्ट

भारत अधिक खबरें

भारतAadhaar Biometric Lock: स्कैमर्स कभी नहीं कर पाएंगे आधार कार्ड का मिस यूज, मिनटों में लॉक करें अपना आधार

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारतबारिश की कमी से कश्मीर में गंभीर जलसंकट, सारा दारोमदार बर्फ पर टिका

भारतIndiGo Crisis: DGCA ने इंडिगो को भेजा नोटिस, प्लाइट्स कैंसिल का मांगा जवाब

भारतGoa Club fire: नाइट क्लब के ऑनर और मैनेजर के खिलाफ FIR दर्ज, अग्निकांड हादसे की जांच में जुटी पुलिस