नागरिकता न मिलने के कारण 800 पाकिस्तानी हिंदू वापस लौट गए: रिपोर्ट

By विशाल कुमार | Published: May 9, 2022 01:10 PM2022-05-09T13:10:56+5:302022-05-09T13:15:36+5:30

यह दावा भारत में पाकिस्तानी अल्पसंख्यक प्रवासियों के अधिकारों की वकालत करने वाले सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) ने किया है।उनमें से कई यह देखने के बाद पाकिस्तान लौट आए कि उनके नागरिकता आवेदन में कोई प्रगति नहीं हुई है।

800-pakistani-hindus-left-india-after-failing-to-get-citizenship report | नागरिकता न मिलने के कारण 800 पाकिस्तानी हिंदू वापस लौट गए: रिपोर्ट

नागरिकता न मिलने के कारण 800 पाकिस्तानी हिंदू वापस लौट गए: रिपोर्ट

Highlightsयह दावा पाकिस्तानी अल्पसंख्यक प्रवासियों के अधिकारों की वकालत करने वाले एसएलएस ने किया है।उनमें से कई यह देखने के बाद पाकिस्तान लौट आए कि उनके नागरिकता आवेदन में कोई प्रगति नहीं हुई है।केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक ऑनलाइन नागरिकता आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी।

नई दिल्ली: धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता के लिए भारत आने वाले  लगभग 800 पाकिस्तानी हिंदू साल 2021 में राजस्थान से वापस पड़ोसी देश चले गए।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यह दावा भारत में पाकिस्तानी अल्पसंख्यक प्रवासियों के अधिकारों की वकालत करने वाले सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) ने किया है।उनमें से कई यह देखने के बाद पाकिस्तान लौट आए कि उनके नागरिकता आवेदन में कोई प्रगति नहीं हुई है।

एसएलएस के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा ने कहा कि एक बार जब वे वापस लौट जाते हैं, तो उनका इस्तेमाल पाकिस्तानी एजेंसियां भारत को बदनाम करने के लिए करती हैं। उन्हें मीडिया के सामने परेड किया जाता है और कहा जाता है कि यहां उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक ऑनलाइन नागरिकता आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी। इसने 2018 में 7 राज्यों में 16 कलेक्टरों और मई 2021 में 5 राज्यों में 13 कलेक्टरों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसी, जैन और बौद्धों को नागरिकता देने के लिए ऑनलाइन आवेदन स्वीकार करने के लिए भी कहा था।

हालांकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, लेकिन पोर्टल उन पाकिस्तानी पासपोर्टों को स्वीकार नहीं करता है जिनकी समय सीमा समाप्त हो चुकी है। इसके कारण शरण चाहने वाले लोगों को अपना पासपोर्ट  नवीनीकृत कराने के लिए दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के पास जाना पड़ता है और एक मोटी रकम देनी पड़ती है।

ऑनलाइन आवेदन करने के अलावा, आवेदकों को खुद कलेक्टरों को दस्तावेज जमा करने होते हैं। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि वे ऑनलाइन सिस्टम की जांच कर रहे हैं।

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