शाहीन बाग अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, दिल्ली हाई कोर्ट जाने के दिए निर्देश

By मनाली रस्तोगी | Published: May 9, 2022 04:02 PM2022-05-09T16:02:20+5:302022-05-09T16:03:33+5:30

दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने से इनकार कर दिया। ऐसे में सीपीआई (एम) और अन्य याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा।

Supreme Court declines to entertain plea on Shaheen Bagh demolition drive | शाहीन बाग अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, दिल्ली हाई कोर्ट जाने के दिए निर्देश

शाहीन बाग अतिक्रमण के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार, दिल्ली हाई कोर्ट जाने के दिए निर्देश

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया।सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआई (एम) और अन्य याचिकाकर्ताओं को दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सीपीआई (एम) और अन्य याचिकाकर्ताओं को मामले के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय जाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने पहले शाहीन बाग इलाके में नागरिक निकाय द्वारा एक विध्वंस अभियान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की थी, जिसके कारण घंटों पहले बड़े पैमाने पर हंगामा हुआ था।

स्थानीय लोगों द्वारा अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत क्षेत्र में पहुंचे यातायात और बुलडोजर की आवाजाही को अवरुद्ध करने के कारण अभियान को रोक दिया गया था। सीपीआई (एम) की दिल्ली इकाई और हॉकर्स यूनियन द्वारा शनिवार को याचिका दायर की गई थी, जिसमें नागरिक निकाय के अतिक्रमण विरोधी अभ्यास को "प्राकृतिक न्याय, कानून और संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन" बताया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "सीपीआई (एम) क्यों याचिका दायर कर रही है?" इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि वो किसी राजनीतिक दल के इशारे पर दखल नहीं दे सकते।

याचिका में सीपीआई (एम) ने याचिका वापस ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया क्योंकि उसे दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि वे अनधिकृत कब्जा करने वाले या अतिक्रमण करने वाले नहीं थे जैसा कि प्रतिवादियों - एसडीएमसी और अन्य ने आरोप लगाया था। बता दें कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम पहले भी कई नागरिक अधिकार समूहों और विपक्षी दलों के निशाने पर आ चुका है, जब उसने एक अतिक्रमण विरोधी अभियान में जहांगीरपुरी इलाके में ढांचों को बुलडोजर गिरा दिया था। सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद ऑपरेशन रोक दिया गया था।

Web Title: Supreme Court declines to entertain plea on Shaheen Bagh demolition drive

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