लाइव न्यूज़ :

आपदाओं से मिलने वाली प्रकृति की चेतावनी को समझे, रोहित कौशिक का ब्लॉग

By रोहित कौशिक | Updated: August 4, 2021 13:29 IST

पिछले दिनों हमें चमोली में ग्लेशियर टूटने के कारण एक और बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा. प्रारंभ से ही पहाड़ों पर अत्यधिक जल विद्युत परियोजनाओं का विरोध होता रहा है.

Open in App
ठळक मुद्देपहाड़ों पर जल प्रलय के शास्त्र को समझे बिना विकास की परियोजनाओं को हरी झंडी देते चले गए.क्षेत्र का अपना अलग पर्यावरण होता है. हम पहाड़ के पर्यावरण की तुलना मैदानी क्षेत्रों के पर्यावरण से नहीं कर सकते.पर्यावरण को समझे बिना विकास की परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगे तो बादल फटने या ग्लेशियर टूटने से होने वाली तबाही और बढ़ जाएगी.

हाल ही में हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बादल फटने से आई बाढ़ में कई लोगों की मौत हो गई और भारी आर्थिक नुकसान हुआ.

अक्सर बरसात के दिनों में पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं होती रहती हैं, जिससे भारी नुकसान होता है. दरअसल इस दौर में पहाड़ों पर लगातार उन जगहों पर भी निर्माण कार्य हो रहे हैं, जहां नहीं होने चाहिए. अगर हम प्रकृति का अतिक्रमण करेंगे तो प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाएगी ही. विकास की विभिन्न परियोजनाओं के लिए निर्माण कार्य होने के कारण पहाड़ों का कटाव बढ़ने लगा है.

पहाड़ों की खुदाई के लिए जिन साधनों का इस्तेमाल किया जाता है, उससे पहाड़ दरकने की घटनाएं भी बढ़ी हैं. ऐसी स्थिति में जब बादल फटने की घटनाएं होती हैं तो वे काफी तबाही मचाती हैं. यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि हम केदारनाथ आपदा से सबक नहीं ले पाए और पहाड़ों पर जल प्रलय के शास्त्र को समझे बिना विकास की परियोजनाओं को हरी झंडी देते चले गए.

यही कारण है कि पिछले दिनों हमें चमोली में ग्लेशियर टूटने के कारण एक और बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा. प्रारंभ से ही पहाड़ों पर अत्यधिक जल विद्युत परियोजनाओं का विरोध होता रहा है. अनेक वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का मानना है कि पहाड़ों पर ये जल विद्युत परियोजनाएं भविष्य में और भी बड़ी तबाही मचा सकती हैं.

हर क्षेत्र का अपना अलग पर्यावरण होता है. हम पहाड़ के पर्यावरण की तुलना मैदानी क्षेत्रों के पर्यावरण से नहीं कर सकते. यदि हम पहाड़ के पर्यावरण को समझे बिना विकास की परियोजनाओं को आगे बढ़ाएंगे तो बादल फटने या ग्लेशियर टूटने से होने वाली तबाही और बढ़ जाएगी.  क्या हम विकास का ऐसा मॉडल नहीं बना सकते जिससे पहाड़ के निवासियों को स्थायी रूप से फायदा हो?

बड़ी विकास परियोजनाओं की विसंगतियों के दर्द को आम आदमी ही महसूस कर सकते हैं. यह विडंबना ही है कि देश में पिछले पचास वर्षों में बड़ी सिंचाई परियोजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए हैं लेकिन सूखे एवं बाढ़ से प्रभावित जमीन का क्षेत्रफल लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

शायद अब समय आ गया है कि पिछले पचास वर्षो में बनी सिंचाई परियोजनाओं से मिल रही सुविधाओं की वास्तविक समीक्षा की जाए. बांधों के बारे में विश्व आयोग की भारत से संबंधित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़ी सिंचाई परियोजनाओं से अधिक लाभ नहीं होता है जबकि इसके दुष्परिणाम अधिक होते हैं.

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में बड़े बांधों के कारण विस्थापित करोड़ों लोगों में से 62 प्रतिशत अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों से संबंधित हैं. बड़ी सिंचाई परियोजनाओं के कारण जहां एक ओर लगभग कई लाख हेक्टेयर जंगलों का विनाश हुआ है वहीं दूसरी ओर इस तरह की परियोजनाओं से अनेक तरह की विषमताएं पैदा हुई हैं.

इसका लाभ अधिकतर बड़े किसानों और शहरी लोगों को ही मिला है.  भारत जैसे विकासशील देश में पीने के पानी, सिंचाई एवं ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक ऐसी व्यवस्था की जरूरत है जिससे कि संसाधनों का समुचित उपयोग एवं ठीक ढंग से पर्यावरण संरक्षण हो सके. इस व्यवस्था में वर्षा जल के संरक्षण, वैकल्पिक स्नेतों से ऊर्जा प्राप्त करने तथा जैविक खेती को प्रोत्साहन दिया जा सकता है.

ऐसी व्यवस्था से गरीबों का भी भला होगा. हमें यह ध्यान रखना होगा कि पहाड़ का अपना अलग पर्यावरण होता है. इस पर्यावरण की रक्षा करना आम नागरिकों का कर्तव्य तो है ही, सरकार का कर्तव्य भी है. दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि विभिन्न सरकारें विकास परियोजनाओं में पहाड़ के पर्यावरण का ख्याल नहीं रखती हैं. पहाड़ों पर बादल फटने और ग्लेशियर टूटने के कारण बाढ़ आना एक तरह से प्रकृति की चेतावनी ही है. पहाड़ों के पर्यावरण की रक्षा करना हम सबका कर्तव्य है. आज हम सभी को इन सभी प्रश्नों पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

टॅग्स :मौसमउत्तराखण्डकेदारनाथजम्मू कश्मीरमौसम रिपोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

क्राइम अलर्टनाबालिग से बलात्कार, मदरसा शिक्षक नासिर मजीद अरेस्ट, अपराध को अंजाम देने के बाद छिपा था आरोपी

भारतपहले LOC पर आग लगाओ, बारूदी सुरंगें नष्ट करो, फिर आतंकियों को धकेलने का रास्ता बनाओ: घुसपैठ के लिए पाक सेना के नए हथकंडे

स्वास्थ्यबाप रे बाप?, हर दिन JK में 38 कैंसर केस, 5 साल में 67037 का आंकड़ा और 2024 में 14000 नए मामले

भारतदिल्ली-एनसीआर में जहरीले स्मॉग की चादर, कई इलाकों में एयर क्वालिटी बहुत खराब, देखिए लिस्ट

भारतAdventure Tourism Summit 2025: एडवेंचर टूरिज्म कार्यक्रम के लिए है कश्मीर, जानें क्या कुछ होगा खास

भारत अधिक खबरें

भारतAssam: गुवाहाटी में कमर्शियल बिल्डिंग में लगी आग, 24 घंटों से ज्यादा समय से बुझाने की कोशिश, कई एजेंसियां बचाव कार्य में जुटी

भारतGoa: नाइट क्लब अग्निकांड के बाद एक्शन में सरकार, सभी होटलों और क्लबों में आतिशबाजी पर लगाया बैन

भारतशरद पवार ने रखी डिनर पार्टी, राहुल गांधी, अजित पवार, गौतम अडाणी समेत पहुंचे दिग्गज नेता

भारतKerala Local Body Elections 2025: केरल में स्थानीय निकाय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान आज, वोटिंग के लिए पहुंच रहे लोग

भारतMaharashtra: ठाणे में ED और ATS की छापेमारी, आतंकी वित्तपोषण को लेकर पूछताछ जारी