लाइव न्यूज़ :

ब्लॉगः जलवायु परिवर्तन के कारण उभर रहे हैं समुद्री तूफान

By पंकज चतुर्वेदी | Published: June 01, 2023 3:05 PM

भारत उपमहाद्वीप में बार-बार और हर बार पहले से घातक तूफान आने का असल कारण इंसान द्वारा किए जा रहे प्रकृति के अंधाधुध शोषण से उपजी पर्यावरणीय त्रासदी ‘जलवायु परिवर्तन’ भी है।

Open in App

यमन में लाल सागर के तट पर बसे कॉफी के व्यापार के लिए मशहूर ‘मोचा’ शहर के नाम पर मई के मध्य में बंगाल की खाड़ी में कहर बन कर आए ‘मोचा’ चक्रवात ने भले ही भारत में कोई बहुत बड़ा नुकसान नहीं किया हो- इस साल के पहले समुद्री बवंडर के साथ भारत के तटीय आबादियों पर अब दिसंबर तक ऐसे ही कई खतरे मंडरा रहे हैं। यह जानना जरूरी है कि यह एक महज प्राकृतिक आपदा नहीं है  असल में तेजी से बदल रहे दुनिया के प्राकृतिक मिजाज ने इस तरह के तूफानों की संख्या में इजाफा किया है। जैसे-जैसे समुद्र के जल का तापमान बढ़ेगा,उतने ही अधिक तूफान हमें झेलने होंगे। यह चेतावनी है कि इंसान ने प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को नियंत्रित नहीं किया तो साइक्लोन या बवंडर के चलते भारत के सागर किनारे वाले शहरों में आम लोगों का जीना दूभर हो जाएगा।

भारत उपमहाद्वीप में बार-बार और हर बार पहले से घातक तूफान आने का असल कारण इंसान द्वारा किए जा रहे प्रकृति के अंधाधुध शोषण से उपजी पर्यावरणीय त्रासदी ‘जलवायु परिवर्तन’ भी है। अमेरिका की अंतरिक्ष शोध संस्था नेशनल एयरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन - नासा की चेतावनी है कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रकोप से चक्रवाती तूफान और खूंखार होते जाएंगे। जलवायु परिवर्तन के कारण उष्णकटिबंधीय महासागरों का तापमान बढ़ने से सदी के अंत में बारिश के साथ भयंकर बारिश और तूफान आने की दर बढ़ सकती है।

यह बात नासा के एक अध्ययन में सामने आई है। अमेरिका में नासा के ‘जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी’ (जेपीएल) के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया। इसमें औसत समुद्री सतह के तापमान और गंभीर तूफानों की शुरुआत के बीच संबंधों को निर्धारित करने के लिए उष्णकटिबंधीय महासागरों के ऊपर अंतरिक्ष एजेंसी के वायुमंडलीय इन्फ्रारेड साउंडर (एआईआरएस) उपकरणों द्वारा 15 सालों तक एकत्र आकंड़ों के आकलन से यह बात सामने आई। अध्ययन में पाया गया कि समुद्र की सतह का तापमान लगभग 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर गंभीर तूफान आते हैं।

‘जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स’(फरवरी 2019, में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण हर एक डिग्री सेल्सियस पर 21 प्रतिशत अधिक तूफान आते हैं। जेपीएल के हार्टमुट औमन के मुताबिक गर्म वातावरण में गंभीर तूफान बढ़ जाते हैं। भारी बारिश के साथ तूफान आमतौर पर साल के सबसे गर्म मौसम में ही आते हैं। लेकिन जिस तरह ठंड के दिनों में भारत में ऐसे तूफान के हमले बढ़ रहे हैं यह हमारे लिए गंभीर चेतावनी है।

टॅग्स :फ्लोरेंस तूफान
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वतूफान डोरियनः बहामा में मरने वाले की संख्या 30, उत्तरी कैरोलिना के करीब पहुंचा

विश्व‘डोरियन’ तूफान मजबूत होकर चौथी श्रेणी में तबदील, 130 मील प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं

भारत अधिक खबरें

भारतSwati Maliwal ‘assault’ case: मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराएंगी आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल, तीस हजारी अदालत पहुंचीं, केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार पर केस

भारत"बुलडोजर कहां चलाना है ये यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से सीखिए": इंडी गठबंधन से बोले पीएम मोदी, देखें वीडियो

भारतSwati Maliwal Assault Case: कैसे हुआ स्वाति मालीवाल पर हमला? दिल्ली पुलिस करेगी खुलासा, सीएम केजरीवाल के आवास के CCTV फुटेज की होगी जांच

भारतविदेश मंत्री जयशंकर ने बताई 'मोदी जी ने वार रुकवा दी पापा' के पीछे की असली कहानी, जानें पीएम ने युद्ध रोकने के लिए क्या किया

भारतMaharashtra Lok Sabha Elections 2024: अगली पीढ़ी पर ध्यान नहीं, पीएम मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री पद चाहिए, ठाकरे ने कहा- बेरोजगारी और महंगाई से हर कोई प्रभावित...