G-20 Summit: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, ब्राजील, सिंगापुर, इंडोनेशिया, पुर्तगाल, नॉर्वे और स्पेन समेत कई देशों के नेताओं के साथ की गई 31 द्विपक्षीय और अनौपचारिक वार्ताओं में भारत का रणनीतिक महत्व उभरकर दिखाई दिया है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी भारत के वैश्विक व्यापार और निर्यात बढ़ाने के मद्देनजर विदेश दौरों में द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं की रणनीति लगातार आगे बढ़ा रहे हैं. खासतौर से पिछले छह महीनों में इस रणनीति से द्विपक्षीय व्यापार के अच्छे अध्याय दिखाई दिए हैं.
यह बात महत्वपूर्ण है कि मोदी ने जहां 21 सितंबर को अमेरिका में आयोजित क्वाड लीडर्स सम्मेलन में भाग लेकर इस संगठन की भारत के लिए उपयोगिता बढ़ाई, वहीं 22 सितंबर को न्यूयार्क में मोदी और जो बाइडेन के बीच हुई बातचीत में कोलकाता में एक सेमीकंडक्टर प्लांट स्थापित करने का करार हुआ है.
इसी प्रकार 10 अक्तूबर को लाओस के वियनतियाने में आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में आसियान देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद जो बयान जारी किया है, उसके मुताबिक ये देश इस समूचे क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता से असहज और परेशान हैं तथा भारत के साथ आर्थिक, कारोबारी व सुरक्षा संबंधों का नया दौर आगे बढ़ाएंगे.
उल्लेखनीय है कि रूस के कजान में 22 से 24 अक्तूबर तक आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का भारत ने रणनीतिक लाभ लिया. भारत और चीन के बीच पांच साल बाद अहम द्वपिक्षीय वार्ता हुई. मोदी ने इस वार्ता के बाद कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध महत्वपूर्ण हैं. नि:संदेह दुनिया में भारत की प्रतिष्ठा और भारत का रणनीतिक महत्व लगातार बढ़ रहा है.
22 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मनी के स्टटगार्ट में आयोजित ‘न्यूज9 ग्लोबल समिट’ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि पूरी दुनिया भारत के रणनीतिक महत्व को स्वीकार कर रही है और यह पिछले 10 वर्षों में अपनाये गए ‘सुधार, प्रदर्शन और परिवर्तन’ मंत्र के कारण संभव हुआ है.
21वीं सदी में तीव्र विकास के लिए भारत में प्रगतिशील और स्थिर नीति-निर्माण की व्यवस्था लाई गई, लालफीताशाही हटाई गई एवं जीएसटी (माल एवं सेवा कर) के रूप में एक कुशल कर प्रणाली शुरू की गई है. भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए समय पर पूंजी उपलब्ध हो सके. मोदी ने कहा कि देश के तेज विकास के लिए भौतिक, सामाजिक और डिजिटल बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाया गया है. वस्तुतः जर्मनी का ‘फोकस ऑन इंडिया’ दस्तावेज इसका एक उदाहरण है.