वरिष्ठ पत्रकार। प्रिंट मीडिया से पत्रकारिता करियर शुरू करने वाले पुण्य प्रसून बाजपेयी 1996 में 'आज तक' से जुड़े। पिछले दो दशकों में पुण्य प्रसून एनडीटीवी, ज़ी न्यूज़, एबीपी न्यूज़ इत्यादि चैनलों में काम कर चुके हैं। पुण्य प्रसून विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित स्तम्भ भी लिखते हैं।Read More
चीन के साथ ट्रेड-वॉर के दौर में भारत की तरफ ट्रम्प काफी आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं तो ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या फ्रांस में जी-7 की बैठक के आखिरी दिन यानी 26 अगस्त को मोदी-ट्रम्प मुलाकात अमेरिका ने अपनी जरूरतों के मद्देनजर तय की है? ...
70 के दशक के शायरों की पूरी पीढ़ी ही इस गीत को गुनगुनाते बड़ी हो गई. दरअसल खय्याम हर लिहाज से एक स्वतंत्न, विचारवान और स्वयं को संबोधित ऐसे आत्मकेंद्रित संगीतकार रहे हैं जिनकी शैली के अनूठेपन ने ही उनको सबसे अलग किस्म का कलाकार बनाया. ...
भावनाओं और रिश्तों को टीआरपी के जरिये कमाई का जरिया बना दिया गया. जबकि देश का सच तो ये भी है कि हर दिन 1200 भागे हुए बच्चों की शिकायत पुलिस थानों तक पहुंचती है. भागे हुए बच्चों में 52 फीसदी लड़कियां ही होती हैं. लेकिन हमेशा ऐसा होता नहीं है कि लड़का- ...
भारत की इकोनॉमी इन सबसे बेहतर है. लेकिन खुदकुशी करते किसानों की तादाद भी भारत में नंबर एक है. सिर्फ महाराष्ट्र में हर तीसरे घंटे एक किसान खुदकुशी कर लेता है. चार साल में 12000 किसानों ने खुदकुशी की. देश में हर दूसरे घंटे एक किसान की खुदकुशी होती है. ...
सत्ता दुबारा ज्यादा मजबूती से आई है, इकोनॉमी कहीं ज्यादा कमजोर हुई है. राजनीतिक दलों से गठबंधन मजबूत हुआ है लेकिन समाज के भीतर दरारें साफ दिखाई देने लगी हैं. लेकिन अब कुछ भी चौंकाता नहीं है क्योंकि जनादेश तले ही अब देश की व्याख्या की जा रही है. ...
अब तो न मुद्दे मायने रखते हैं न ही उम्मीदवार. न ही संसद की वह गरिमा बची है जिसके आसरे जनता में भावनात्मक लगाव जागे कि संसद चल रही है तो उनकी जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर बात होगी, रास्ता निकलेगा. ...
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अपने सर्वे में कर्नाटक चुनाव को धन पीने वाला बताया था. सीएमएस के अनुसार कर्नाटक चुनाव में 9,500 से 10,500 करोड़ रु. के बीच धन खर्च किया गया. ...