कोलंबो : श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने मौजूदा आर्थिक संकट और गुरुवार को उनके आवास के पास हुए हिंसक प्रदर्शन के एक दिन बाद सुरक्षा बलों को व्यापक अधिकार देते हुए देशव्यापी आपातकाल की घोषणा कर दी। आर्थिक संकट और देश में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर गुरुवार देर रात राजपक्षे के आवास के बाहर हजारों की संख्या में लोग प्रदर्शन किए और उनके खिलाफ नारेबाजी की। विरोध काफी हिंसक हो गया जिसके बाद पुलिस और सुरक्षा बलों को स्थिति को संभालना पड़ा। श्रीलंका की सरकार ने इसे आतंकी कृत्य करार दिया।
आपातकाल घोषित करते हुए राजपक्षे ने कहा सार्वजनिक सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और आपूर्ति और आवश्यक सेवाओं के रखरखाव को सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद से सबसे दर्दनाक मंदी में 22 मिलियन का देश आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी, तेज कीमतों में वृद्धि और बिजली कटौती का सामना कर रहा है। यह आर्थिक संकट महामारी के दौरान तब शुरू हुआ जब पर्यटन क्षेत्र बंद हो गया।
आर्थिक संकट से उपजे हालात, देश में बढ़ती महंगाई और बुनियादी सुविधाओं; पानी, बिजली, चिकित्सीय सेवाओं के ठप होने से लोग अपना धैर्य खो रहे हैं। इसका एक रूप राजपक्षे के आवास के बाहर देखा गया। हजारों की संख्या में लोग राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए "घर जाओ गोटा"के नारे लगाए। बाद में प्रदर्शन हिंसक हो गया और बाहर पुलिस की बस में आग लगा दी। कई पुलिसवाले भी घायल हुए। स्थिति को संभालने के लिए कथित तौर पर आंसू गैस और पानी के तोपों का इस्तेमाल करना पड़ा। इसके बाद 45 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया।
गौरतलब है कि श्रीलंका रोजाना 10 घंटे बिजली कटौती का सामना कर रहा है और कई हिस्सों से डीजल की किल्लत की खबरें आ रही हैं। पुलिस ने पश्चिमी प्रांत, जिसमें राजधानी कोलंबो भी शामिल है, में पिछली रात से नो-गो ज़ोन का विस्तार करते हुए शुक्रवार को रात का कर्फ्यू फिर से लागू कर दिया।
रॉयटर्स ने 2019 के एशियाई विकास बैंक के वर्किंग पेपर का हवाला देते हुए कहा, विश्लेषकों ने संकट के लिए अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। "श्रीलंका एक क्लासिक जुड़वां घाटे वाली अर्थव्यवस्था है। जुड़वां घाटे का संकेत है कि एक देश का राष्ट्रीय व्यय उसकी राष्ट्रीय आय से अधिक है और यह कि व्यापार योग्य वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन अपर्याप्त है।"