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बकरीद पर कुर्बानी के लिए लखनऊ में बिक रहा 8 लाख की कीमत वाला बकरा, 4 फीट लंबाई और 2 कुंटल वजन, खरीदार भी हैरान

By आजाद खान | Published: June 26, 2023 10:10 PM

इस बकरे को बेचने वाले की अगर माने तो यह बकरा "कम चारे में जीवित रहने और प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूलन करने की क्षमता के कारण इसे 'गरीबों की गाय' के रूप में भी जाना जाता है।"

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ठळक मुद्देयूपी के लखनऊ में बकरी के मौके पर आठ लाख का बकरा बिक रहा है। इस बकरे की लंबाई चार फूट बताई जा रहा है जिसका वजन करीब दो कुंटल है। इस नस्ल का बकरा ज्यादा दूध और मांस देने के लिए जाना जाता है।

लखनऊ:  इस साल गुरुवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) मनाया जा रहा है। ऐसे में कुर्बानी करने के लिए लोग बकरे की खरीदारी महिनों पहले ही शुरू कर देते है। बकरे की खरीदारी चांद रात यानी इस साल बुधवार की रात तक जारी रेहगी। हर साल बकरीद में किस्म-किस्म के और स्वस्थ बकरी की कुर्बानी होती है। 

ऐसे में जैसे-जैसे बकरे होते है वैसी-वैसी उनकी कीमत होती है। इस बार यूपी की राजधानी लखनऊ के दुबग्गा बाजार के पास जॉगर्स पार्क में एक अनोखा बकरा आया है जिसे कुर्बानी के लिए बिक्री की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस बकरे की कीमत आठ लाख रुपए बताई जा रही है। 

आखिर इसकी कीमत इतनी क्यों है

बता दें कि यह बकरा दिखने में सफेद रंग का है और इसकी लंबाई करीब चार फीट की है। इसकी खूबी यह भी है कि जब ये अपने पिछले दोनों पैरों पर खड़ा होता है तो इसकी लंबाई पांच फीट हो जाती है। इसको बचने वाले इसके मालिक अशरफ हुसैन का कहना है कि यह 27 महीने का बकरा है और इसका वजन लगभग दो कुंटल का है। 

इस बकरे पर अधिक जानकारी देते हुए एक अन्य विक्रेता अकील हुसैन ने कहा कि यह बीटल नस्ल की खासी बकरा है जो पूरे जॉगर्स पार्क बकरी बाजार में सबसे महंगी है। इसकी कीमत आठ लाख रुपए लगाए गई है जिसे देखने के लिए दूर दराज से भी लोग यहां आ रहे है। 

इस नस्ल वाले बकरे की क्यों होती है कीमत

गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान और भारत का पंजाब क्षेत्र में बीटल नस्ल वाले बकरे पाए जाते है जो अधिक मात्रा में दूध देने के लिए जाना जाता है। यही नहीं इसे काटने के बाद इसमें अधिक मात्रा में मांस भी पाए जाते है। इसके अलावा इसकी बराबरी मालाबारी और जमनापारी नस्ल वाले बकरे से भी की जाती है।  इसे "लाहोरी बकरी" के नाम से भी जाना जाता है और यह अपने विशाल आकार और अच्छी दूध उत्पादन क्षमता के कारण लोकप्रिय है।

सुल्तान पुर के रहने वाले अशरफ ने कहा है कि कम चारे में जीवित रहने और प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूलन करने की क्षमता के कारण इसे 'गरीबों की गाय' के रूप में भी जाना जाता है। वे इस बाजार में इसे लेकर इसलिए आए है ताकि उन्हें इसकी अच्छी कीमत मिल सके क्योंकि इसके पालन-पोषण में बहुत सारी उनकी बचत लगी है।  

टॅग्स :अजब गजबलखनऊईद
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