भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 को भारतीय क्रांतिकारियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश शासन ने फांसी की सजा दी थी। देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के सम्मान में इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। Read More
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी थी। इन तीन भारतीय क्रांतिकारियों के शहादत दिवस को भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। ...
शहीद दिवस 2019 पर पढ़िए क्रांतिकारी भगत सिंह और सुखदेव के निजी जीवन के अल्पज्ञात पहलू को उजागर करने वाला पत्र। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश शासकों ने 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया था। ...
महात्मा गांधी ने जब अपने सहयोगियों को इस 'प्रयोग' के बारे में बताया तो उन्हें बहुत विरोध का सामना करना पड़ा. उन्होंने गांधी को चेतावनी दी कि यह उनकी प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला देगा और उन्हें इस प्रयोग को छोड़ देना चाहिए. ...
23 मार्च 1931 भारत के इतिहास का एक ऐसा काला दिन जिसने हमसे हमारे तीन सपूतों को छीन लिया था| 23 मार्च 1931 को ही शहीदे आजम भगतसिंह, शहीद सुखदेव और राजगुरु को एक साथ फांसी के तख्त पर लटका दिया गया था| इन शहीदों का ये बलिदान बेकार तो नहीं गया लेकिन भार ...
Shaheedi Diwas (शहीदी दिवस): कैसा रहा होगा वो आँगन जहां अठखेलियां करते हुए ये जवान हुए और एक दिन उस आँगन को सूना करके शहीद हो गए देश की खातिर, क्या अब भी ये घर उनका इंतज़ार नहीं करता होगा कि कभी भी लौट के आ सकते हैं मेरे लाल और आकर बोलेंगे - माँ ! भूख ...
आज 23 मार्च है शहीदी दिवस! लेकिन क्या वास्तविक रूप में आप मानते हैं कि आजादी के 70 साल के बाद भी भगत सिंह को भारत सरकार द्वारा शहीद का दर्ज़ा दिया गया है? ...