भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 मार्च 1931 को भारतीय क्रांतिकारियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश शासन ने फांसी की सजा दी थी। देश की आजादी के लिए प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के सम्मान में इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। Read More
Shaheed Diwas: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 को अंग्रेज सरकार द्वारा फांसी दी गई थी। इस कुर्बानी को याद करने के लिए हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। ...
Martyrs' Day 2020 (Shaheed Diwas): 23 मार्च 1931 को आज ही के दिन ब्रिटिश हुकूमत ने लाहौर के जेल में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाया गया था। ...
शहीद दिवस: अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटना है। इन तीनों वीर सपूतों ने साल 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मार दी थी ...
Martyrs' Day 2020 (Shaheed Diwas): 23 मार्च 1931 को लाहौर के जेल में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी पर लटकाया गया था। फांसी पर चढ़ने के पहले तीनों देशभक्तों ने एक-दूसरे को लगे लगाकर इंक़लाब ज़िन्दाबाद के नारे लगाए थे। ...
शहीद दिवस 2019 पर पढ़ें वो पर्चा जो भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली स्थित संसद में बम फेंकने के बाद लोगों के बीच अपना वैचारिक पक्ष रखने के लिए फेंका था। ...
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को अंग्रेजों ने 23 मार्च 1931 को लाहौर की सेंट्रल जेल में फांसी दे दी थी। इन तीन भारतीय क्रांतिकारियों के शहादत दिवस को भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। ...
शहीद दिवस 2019 पर पढ़िए क्रांतिकारी भगत सिंह और सुखदेव के निजी जीवन के अल्पज्ञात पहलू को उजागर करने वाला पत्र। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को ब्रिटिश शासकों ने 23 मार्च 1931 को फांसी पर चढ़ा दिया था। ...